तिबब्ती चिकित्सा संस्कृति का जन्मस्थान----मीलिन काऊंटी चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के दक्षिण पूर्वी में एक लिनजी प्रिफेक्चर है, जो यालुजांबू नदी के मध्य व निचले भाग में स्थित है। इस में एक मीलिन नामक काऊंटी है। वह न सिर्फ तिब्बती, हान, ल्वोबा, ई, छांग आदि नौ अल्पसंख्यक जातियों के एक साथ रहने के कारण मशहूर है, बल्कि तिब्बती चिकित्सा संस्कृति का जन्मस्थान भी मानी जाती है। आज के इस कार्यक्रम में आप आएं, मेरे साथ मीलिन काऊंटी का दौरा करें।
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तिब्बत में सीमांत व्यापार का बड़ा विकास चीन का तिब्बत स्वायत प्रदेश भारत, नेपाल, भूटान आदि अनेक देशों से जुडता है। पुराने समय में भी तिब्बत स्वायत प्रदेश और उक्त देशों के बीच सीमांत व्यापार होता था । 18वीं शताब्दी के मध्य काल से पहले, तिब्बत में सीमांत व्यापार का मुख्य साझेदार भारत था, जबकि 20वीं शताब्दी के 60 के दशक के बाद सीमांत व्यापार जांमू पोर्ट तक स्थानांतरित किया गया। तिब्बत व नेपाल के बीच व्यापार भी तिब्बत के सीमांत व्यापार की कुल रक्म का 90 प्रतिशत तक पहुंचा है।तिब्बत में सीमांत व्यापार अभी भी तिब्बत के विदेशी व्यापार का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग बना हुआ है।
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तिब्बत के शिकाचे प्रिफेक्चर के किसान फूदेन का सुखमय जीवन पश्चिमी तिब्बत के शिकाचे प्रिफेक्चर से लगभग 12 किलोमीटर दूर जाछ्वोशोंग नामक एक जिला है। वह तिब्बत स्यावत प्रदेश का एक बड़ा जिला है, जिस की आबादी 12000 से ज्यादा है और प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आमदनी लगभग चार हजार चीनी य्वान है। वह सारे तिब्बत में सब से बड़ा कृषि जिला है, जिस का वार्षिक अनाज-उत्पादन 15 लाख किलोग्राम है। दीना गांव जाछ्वोशोंग जिले का सब से समृद्ध गांव है। जब हम दीना गांव पहुंचे, तो हम ने लाल व नीली छतों वाले तिब्बती शैली वाले मकानों को देखा।
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सुखी में रहने वाली तिबब्ती महिलाएं वर्तमान तिब्बत-यात्रा के दौरान, मुझे अनेक तिब्बती महिलाओं से मिलने का मौका मिला है। जब मैंने रिखाजे के एक बीजा नामक गांव की यात्रा की, तो मैंने एक दूध उत्पाद कारखाना देखा , जहां मुझे एक परिवार की दो महिलाएं मिलीं। वे हैं एक सास और एक बहु। शायद आप कल्पना नहीं कर सकते हैं कि वे दोनों बहुत अच्छी मित्र हैं और एक साथ घर का प्रबंध करती हैं। वे किस तरह मेल से वे रहती हैं। उन का दैनिक जीवन कैसा है?
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गेन्सू के इमाम और उन का यातुंग वन संसाधन कारखाना यातुंग दक्षिण तिब्बत के हिमालय क्षेत्र के पास स्थित है, जिस की औसत ऊंचाई 3500 मीटर है। यातुंग में वन के प्रचुर संसाधन हैं, जिस में गैसट्रोडिया टयूबर、कोडोनोप्सिस पिलोसुलो की जड़、कैलेडियम、एगैरिक、मशरुम आदि अनेक किस्म की जड़ी बूटी पाई जाती हैं। चीन में पश्चिमी भाग के जोरदार विकास के कार्यान्वयन में यातुंग काऊंटी के लोगों ने प्राकृतिक वनों को काटना बंद किया है और वन संसाधन का प्रयोग करने लगे हैं।
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