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(GMT+08:00) 2007-08-21 08:55:28    
मशहूर गायक श्री तानजङ और तिब्बती गीत का प्रेम

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श्री तानजङ का जन्म तिब्बत के शिकाजे इलाके में एक साधारण किसान परिवार में हुआ , उन की बाल्यवस्था में उन के घर का जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ था, मां बाप दोनों बहुत कम पढ़े-लिखे हैं , लेकिन वे अपने पुत्र तानजङ के भविष्य पर बड़ा ध्यान देते हैं , माता पिता के समर्थन से तानजङ हाई स्कूल तक पढ़े , इस के बाद वे तिब्बत नार्मल कालेज के कला विभाग में दाखिल हुए, और वहां कला की उच्च शिक्षा लेने लगे । कालेज जीवन के दौरान उन्हें परम्परागत तिब्बती संगीत सीखने के साथ-साथ पाश्चात्य संगीत के विकास इतिहास का ज्ञान भी हासिल हुआ।

वर्ष उन्नीस सौ इक्यासी में श्री तानजङ चीन के मशहूर संगीत प्रतिष्ठान---शांगहाई संगीत कालेज में दाखिल हो गए और वहां उन्होंने चार साल तक संगीत का प्रशिक्षण लिया ।

तीसरे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जातीय सांस्कृतिक समारोह के आयोजन के दौरान श्री तान जङ ने तिब्बती प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य के रूप में तीन प्रोग्राम पेश किए, यह उन के लिए न केवल बहुत मुश्किल था बल्कि थकानपूर्ण भी था । लेकिन श्री तान जङ ने कहा कि उन की आशा है कि भीतरी इलाके के ज्यादा से ज्यादा दर्शक व श्रोता उन के गीतों से तिब्बत की अधिक जानकारी हासिल करेंगे, तिब्बती संस्कृति और कला महसूस करेंगे । इस तरह सोचते ही उन की थकान उड़ जाती है और उन्हें खुशी महसूस होती है। तिब्बती गायक तान जङ ने कहा:

"राजधानी पेइचिंग में आयोजित तीसरे राष्ट्रीय अलपसंख्यक जातीय सांस्कृतिक समारोह में भाग लेने के वक्त मैं ने तिब्बती प्रतिनिधि मंडल की प्रस्तुतियों में तीन प्रोग्राम पेश किए । एक में मैंने राजा कैसर का अभिनय किया और दूसरे में अन्य दो गायकों के साथ'शराब का गीत'नामक गीत गाया, यह गीत तिब्बत में ही नहीं, देश भर में एक बहुत लोकप्रिय गीत था । मेरा तीसरा प्रोग्राम था सामूहिक गान'श्ये छिन'में भाग लेना।"

शराब का गीत---

दोस्तो, अब आप सुन रहे हैं गायक तान जङ और अन्य दो तिब्बती गायकों के साथ गाया गया गीत"शराब का गीत"। गीत में कहा गया है कि खुशी के साथ यहां मिलते हैं हम, आशा है कि कभी दूर नहीं होंगे हम, आशा है कि सब लोग सुखमय जीवन बिताएंगे । हमारी उम्मीद है कि आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु रहें । यह मदिरा आप के लिए है , पीएंगे आप। आशा है आप सुख व अमन चैन से रहें ।

ऊंचे कला स्तर पर पहुंचने के बाद श्री तानजङ पिछली शताब्दी के नब्बे वाले दशक में विश्व कला मंच पर आए । देश के सांस्कृतिक आदान-प्रदान के दूत के रूप से उन्हों ने तिब्बत के अन्य श्रेष्ठ कलाकारों के साथ तिब्बत की अनुठी रंगबिरंगी संस्कृति को साक्ष्य के रूप में विश्व के विभिन्न देशों के दर्शकों के सामने पेश किया । अब तक श्री तानजङ कला प्रदर्शन के लिए यूरोप , अमरीका तथा एशिया के बीस से अधिक देशों और क्षेत्रों में जा चुके हैं । उन की कला प्रस्तुति से विदेशी लोगों को तिब्बत के बारे में ज्यादा जानकारी मिली है। श्री तानजङ कहते हैः

"तिब्बत नाच-गान के सागर के नाम से मशहूर है । तिब्बती जनता पीढियों से इस पठारी भूमि पर रहती आयी है , उन्हों ने यहां शानदार तिब्बती संस्कृति की सृष्टि की है। तिब्बती संस्कृति का आधार मजबूत और गहरा है, इसलिए विदेशों में तिब्बती कला के हर प्रर्दशन में भारी सफलता प्राप्त हुई है ।बहुत से विदेशी लोग तिब्बत नहीं आए और उन्हें तिब्बत के बारे में जानकारी नहीं है , लेकिन जब तिब्बत कला मंडली के कलाकार मंच पर कार्यक्रम पेश करने लगते हैं , तो दर्शकों में तुरंत जोशीली तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठती है , तिब्बती कला से विदेशी दर्शक बेहद प्रभावित हुए हैं , कार्यक्रमों की समाप्ति पर वे उठ खड़े हो कर देर तक तालियां बजाते रहे हैं।"

श्री तानजङ ने कहा कि उन के कला प्रदर्शन से तिब्बती कला का विदेशी दर्शकों में प्रचार हुआ है,इस के अलावा विदेशों में रह रहे तिब्बती बंधुओं को भी वर्तमान तिब्बत की स्थिति की जानकारी मिली है , जिस से तिब्बत की हालत के बारे में उन के पहले के गलत मत भी बदले हैं । वे कहते हैः

"तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद यहां की स्थिति का एकदम काया पलट हुआ है , यह सर्वविदित सत्य है । लेकिन विदेशों में रह रहे बहुत से तिब्बती बंधुयों को कुछ विदेशी लोगों के गलत प्रचार-प्रसार पर विश्वास है , वे तिब्बत की वर्तमान वास्तविकता से अनभिज्ञ हैं । शुरूआत में वे हमारे साथ बुरा बर्ताव करते थे , लेकिन जब हम मंच पर तिब्बती नाचगान पेश करने लगे , तो उन्हें मालूम हुआ कि तिब्बती संस्कृति वाकई अक्षुण्ण है , वे भी तिब्बत में देखने आने के लिए उत्सुक हुए हैं।"

इधर के सालों में विदेशों के साथ तिब्बत की सांस्कृतिक आवाजाही बहुत सक्रिय रही है । तिब्बती कलाकारों ने अपनी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों के जरिए विश्व के विभिन्न देशों के दर्शकों के सामने तिब्बत की जानकारी रखी है और तिब्बत का प्रभाव दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है । विदेशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने वाले एक कलाकार के रूप में श्री तानजङ अपना कर्तव्य बेहतर समझते हैं ।

तिब्बती गायन कलाकार होने के नाते देश-विदेश के श्रोता-दर्शकों के सामने अच्छे-अच्छे गीत पेश करने के अलावा श्री तानजङ की दो अलग तमन्नाएं है , पहली अपना विशेष संगीत एल्बम निकालना , इससे वे अपने कला जीवन में इधर के सालों के प्रयासों का सारांश करेंगे। दूसरी तमन्ना है कि वे अपने व्यस्त समय से यथासंभव ज्यादा समय निकाल कर कालेज जाना चाहते हैं और नई पीढी के छात्रों को गायन कला , मंचन कौशल तथा कला जीवन के अनुभव बताना चाहते हैं,ताकि वे स्वस्थ रूप से परवान चढ़ें।