• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2008-01-15 17:33:29    
चीनी तिब्बती भाई कसांगतुनचू:शांगकरिला जैसे ज्यादा से ज्यादा स्थलों के निर्माण करने की कोशिश

cri

कसांगतुन्चू का जन्म दिछिंद तिब्बती स्वायत्त प्रिफेच्र की चोंगत्येन काउंटी के एक गरीब तिब्बती जातीय गांव में हुआ । इस तरह अपनी जन्मभूमि के प्रति उन की गहरी विशेष भावना संजोए हुई है । घर बहुत गरीब होने के कारण उन्होंने अच्छी तरह प्राइमरी स्कूली व मिडिल स्कूली शिक्षा नहीं ली । नौकरी हासिल करने के बाद उन्हों विश्वविद्यालय की शिक्षा ली थी। स्नातक होने के बाद वे कदम ब कदम स्थानीय सरकारी नेता बन गए ।

कसांगतुन्चू को गहन रूप से मालूल है कि सत्तारूढ़ पार्टी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य और स्थानीय सरकारी नेता के रूप में स्थानीय पिछड़पन को दूर करना और जनता को खुशहाली पहुंचाना उन का कर्तव्य है ।

बुनियादी संस्थापनों के निर्माण को सुदृढ़ करने के साथ-साथ कसांगतुन्चू दिछिंग प्रिफेक्चर के विकास के नए रास्ते की खोज में व्यस्त रहे हैं । वर्ष 1996 में एक पर्यटन गाइड के साथ हुई बातचीत से उन्हें प्रेरणा मिली , आगे चल कर दिछिंग का भाग्य एकदम बदला गया है ।

वर्ष 1996 की फरवरी के एक दिन, युननान प्रांत के एक पर्यटन गाइड सुनचोंग अपने दोस्तों के साथ अमरीकी लेखक जाम्स हिल्टन द्वारा 1933 में लिखी गई विश्वविख्यात उपन्यास《लोस्ट होरिज़न》लेकर दिछिंग आए । उन्होंने उपन्यास में लिखित विष्यों की तुलना में दिछिंग प्रिफेक्चर के चोंगत्येन समेत कई कांउटियों का निरीक्षण दौरा किया । हॉटल में वापस लौटने के बाद सुन चोंग और उन के दोस्त कसांगतुन्चू से मिलने गए, श्री कसांगतुन्चू तत्काल दिछिंग प्रिफेक्चर के शीर्ष नेता थे । इस की चर्चा में श्री कसांगतुन्चू ने कहा:

"उसी दिन श्री सुन चोंग एक उपन्यास लेकर मेरे पास आए । उन्होंने मुझे बताया कि किताब में शांगकरिला नामक जिस सुन्दर स्थल का वर्णन किया गया था , यह दिछिंद के प्राकृतिक व मानवीय दृश्यों से अत्यन्त मिलता जुलता है । उन का विचार है कि इसी शांगकरिला हमारे दिछिंग में है ही।"

तिब्बती भाषा में दिछिंग का अर्थ है कि सुख व शुभमंगल वाला स्थल है, जो शांगकरिला के अर्थ के नज़दीक है । यह खबर सुन कर कसांगतुनचू को बहुत प्रसन्नता हुई , रात भर उन्हें नींद नहीं आयी ।

इस के बाद कसांगतुनचू दिछिंद प्रिफेक्चर में शांगकरिला की खोज करने में जुट गए। वर्ष 1997 के सितम्बर में युननान प्रांत की सरकार ने गंभीरता के साथ एलान किया कि लम्बे समय तक तलाश किया जा रहा शांगकरिला यूननान प्रांत के दिछिंग प्रिफेक्चर में स्थित है । इसी साल दिछिंग आने वाले पर्यटकों की संख्या तुरंत बढ़कर पांच लाख 40 हज़ार तक पहुंच गई, जो वर्ष 1994 की दस गुना हो गई । इस के बाद दिछिंग हवाई अड्डे को प्रयोग में लाया गया, जिस से और ज्यादा देशी विदेशी पर्यटक इस पवित्र स्थल का दौरा करने आने लगे । वर्ष 2001 के दिसम्बर में चीनी राज्य परिषद ने औपचारिक तौर पर चोंगत्येन कांउटी का नाम शांगकरिला कांउटी में बदलने की पुष्टी की ।

वर्ष 1998 में कसांगतुनचू को यूननान प्रांत की जातीय मामला समिति के प्रधान के लिए नियुक्त किया गया । दिछिंग से चले जाने के वक्त विभिन्न जातियों के हजारों स्थानीय नागरिकों ने उन की विदाई ली । वे उन्हें शांगकरिला के पिता कह कर संबोधित करते हैं ।

दोस्तो, यूननान प्रांत चीन में अल्पसंख्य जाति बहुल प्रांत है, जहां कुल 25 अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं, जिन की जन संख्या सारे प्रांत की कुल जन संख्या की एक तिहाई है । यूननान प्रांत की जातिय मामला समिति के प्रधान के रूप में श्री कसांगतुन्चू को अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए सहायता व समर्थन कदमों के प्रति गहरा अनुभव हुआ है । उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अधर के वर्षों में चीन सरकार ने अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास के लिए अनेक कदम उठाए । उन्होंने कहा:

"चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सोलहवीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद से लेकर अब तक केंद्र सरकार ने जातीय कार्य को भारी महत्व दे कर क्रमशः जातीय कार्य को मज़बूत करने और अल्पसंख्यक जातियों व जातीय क्षेत्रों के आर्थिक सामाजिक विकास को गति देने वाले निर्णय, कम जन संख्या वाली जातियों के विकास समर्थन कार्यक्रम आदि सिलसिलेवार दस्तावेज़ जारी किये हैं , जो चीनी जातीय कार्य के इतिहास में भारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे ।"

अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाने के कार्य में उल्लेखनीय योगदान करने के कारण श्री कसांगतुन्चू को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पंदरहवीं, सोलहवीं और सत्रहवीं राष्ट्रीय कांग्रेसों के प्रतमिधि चुना गया । उन्हें अपने कर्तव्य को भारी महत्वपूर्ण महसूस हुआ है । उन का कहना है:

"चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सत्रहवीं राष्ट्रीय कांग्रेस में दी गई अपनी रिपोर्ट में चार बार जातीय कार्य का जिक्र किया। उन्होंने विभिन्न जातियों के समान समृद्धि व विकास को आगे बढ़ाने, विशेष कर सीमांत क्षेत्रों, अल्पसंख्यक जातिय क्षेत्रों व गरीब क्षेत्रों के विकास में सहायता दने पर बल दिया । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सत्रहवीं राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि और जातीय कार्यकर्ता के रूप में मैं विभिन्न जातियों की एकता ,समृद्धि व विकास के लिए अच्छी तरह काम करता रहूंगा ।"

तिब्बती बंधु श्री कसांगतुन्चू ने कहा कि उन की आशा है कि यूननान प्रांत में उन की जन्मभूमि शांगकरिला के बराबर लगातार विकसित रहेगी और वह सुन्दर स्थल के रूप में निर्मित हो जाएगी ।