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(GMT+08:00) 2007-10-11 14:45:06    
तिबब्ती चिकित्सा संस्कृति का जन्मस्थान----मीलिन काऊंटी

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चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के दक्षिण पूर्वी में एक लिनजी प्रिफेक्चर है, जो यालुजांबू नदी के मध्य व निचले भाग में स्थित है। इस में एक मीलिन नामक काऊंटी है। वह न सिर्फ तिब्बती, हान, ल्वोबा, ई, छांग आदि नौ अल्पसंख्यक जातियों के एक साथ रहने के कारण मशहूर है, बल्कि तिब्बती चिकित्सा संस्कृति का जन्मस्थान भी मानी जाती है। आज के इस कार्यक्रम में आप आएं, मेरे साथ मीलिन काऊंटी का दौरा करें।

मीलिन काऊंटी एक बहुत सुन्दर जगह है, जो चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरी हुई है। हरे जंगल, बर्फीले पहाड़ , बहती नदियां और ऊंची घाटियां सारे ऐसे दृश्य मीलिन काऊंटी को बहुत सुंदर जगह बनाते हैं। यहां दुनिया की सब से बड़ी घाटी यालुजांबू नदी की बड़ी घाटी, बादलों में छिपी दुनिया की 15वीं ऊंची चोटी नैन्गाबावा चोटी, पुराना जंगल नानई जागुंग, प्राकृतिक गर्म पानी के चश्में और मशहूर मठ हैं। इतना ही नहीं, यहां की विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों की विशेषता वाले रीति रिवाजें देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में समर्थ हैं।

लिनजी प्रिफेक्चर के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान श्री ल्यू च्येन ने परिचय देते हुए बताया,

संस्कृति पर्यटन की जीवन शक्ति है। संस्कृति का विकास होने से ही पर्यटन का अच्छा विकास किया जा सकता है। लिनजी प्रिफेक्चर पर्यटन व्यवसाय, चरवाहा व्यवसाय और तिब्बती औषधि के विकास को बड़ा महत्व देता है।

वर्ष 2006 की 28 मई को ल्वोबा त्योहार यानी तिब्बती औषधि के सांस्कृतिक त्योहार का आयोजन मिलीन काऊंटी में हुआ। त्योहार के दौरान, स्थानीय सरकार ने ल्वोबा दौरा करने का प्रसार करने के साथ साथ, तिब्बती औषधि के प्रचार का मंच भी आयोजित किया। मीलिन काऊंटी के नानई जिला के प्रधान श्री लिन योंग के अनुसार, अभी तक, हम ने दो बार त्योहारों का आयोजन किया है, जिस का अच्छा प्रभाव पड़ा है। इस वर्ष त्योहार के दौरान, देश-विदेश के अनेक पर्यटक हमारे यहां आये हैं। स्थानीय सरकार ने भी विशेष बाजार की स्थापना की है, जिस में पर्यटक ल्वोबा जाति के नृत्य गान सुनने देखने के साथ साथ, तिब्बती औषधि का अनोखापन भी महसूस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, वे तिब्बती औषधि को खरीद कर घर भी ले जा सकते हैं। त्योहार के सफलतापूर्वण आयोजन से स्थानीय तिब्बती औषधि का विकास आगे बढ़ा है और आम लोगों की आमदनी में वृद्धि हुई है।

मीलिन तिब्बती भाषा में औषधि का स्थल है।हिन्द महा सागर और बंगाल की खाड़ी की गर्म हवा यालुजांबू नदी के जरिये यहां पहुंचती है, इसलिए, यहां का मौसम कहीं ज्यादा सुहावना है। मीलिन काऊंटी का औसत वार्षिक तापमान 8.2 सेंटीग्रेड है और 170 से ज्यादा दिनों में बर्फ नहीं पड़ती है। मीलिन काऊंटी के विशेष भौगोलिक पर्यावरण और अच्छे मौसम ने तिब्बती औषधि के पैदा होने के लिए श्रेष्ठ स्थितियां प्रदान की हैं। काऊंटी में अनेक किस्मों की औषधि उपलब्ध हैं, जिन में मुख्यतः हुंग चीन थ्येन, श्वेई लेन और दांग क्वेई आदि शामिल हैं।

मीलिन काऊंटी के पुराने जंगलों में नानई जागुंग सब से मशहूर है, जिस का क्षेत्रफल 820 हेक्टर है। इस जंगल में रोडोडेंड्रन, साफ नदी का पानी, मूल्यवान पीली पियनी फूल जैसे रंग बिरंगी अनोखी घास भी उगती है। फिर भी यह जंगल तिब्बती औषधि के संस्थापक के निवास स्थल के कारण मशहूर है। मीलिन काऊंटी के नानई जिला के प्रधान श्री लिनयोंग ने हमें बताया,मीलिन काऊंटी का दूसरा नाम है औषधि स्थल। 1300 वर्षों से भी पहले यहां प्रथम तिब्बती चिकित्सा स्कूल की स्थापना की गयी थी। 8 वें दशक में 55 वर्षीय तिब्बती चिकित्सक श्री व्यूथ्वोयुनदेनगुंबू तिब्बत का दौरा करते समय मीलिन नामक इस क्षेत्र में पहुंचे,और देखा कि यहां तिब्बती औषधि संसाधन बहुत प्रचुर हैं ,इसलिए, उन्होंने यहां ठहरने का निर्णय लिया। वे दस साल तक यहां रहे ,दवा बनाने और शिष्य पढ़ाने का काम किया। रोज वे पहाड़ों पर औषधि ढूंढते जाते, और पहाड़ों की गुफा में अभ्यास करते। आज इस गुफा में श्री व्यूथ्वोयुनदेनगुंबू के चित्र देखे जा सकते हैं, जिन की लोग पूजा करते हैं। उन्होंने लगभग 200 तिब्बती चिकित्सकों का प्रशिक्षण किया है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां के पहाड़ों का पानी भी श्री व्यूथ्वोयुनदेनगुंबू की वजह से पवित्र बना है, जिस से विभिन्न रोगों का इलाज किया जा सकता है। सूखे के मौसम में वर्षा की खोज करने के लिए स्थानीय लोग यहां आकर गाबा नामक नृत्य करते हैं और ढोल बजाते हैं। फुरसत के समय स्थानीय लोगों को यहां पहाड़ पर घूमना और पूजा करना पसंद है।

मीलिन काऊंटी में प्रचुर तिब्बती औषधि संसाधन होने की वजह से यहां छीजडं तिब्बती औषधि कारखाना और छीजडं तिब्बती औषधि स्कूल की स्थापना भी की गयी है, जो आसपास बहुत मशहूर हैं।

तिब्बती औषधि चीनी चिकित्सा भंडार में एक चमकदार मोती है, जिस का कम से कम 2000 वर्ष का इतिहास है। बर्फीले पठार पर रहने वाली तिब्बती जाति ने प्रकृति व विभिन्न रोगों से संघर्ष में विभिन्न रोगों का इलाज करने के अनेक अनुभवों को इकट्ठा किया है और विशेषता वाली तिब्बती चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना की है। मीलिन काऊंटी की यात्रा के दौरान, हमें मीलिन छी जडं तिब्बती औषधि स्कूल का दौरा करने का मौका मिला। यह स्कूल जागुंग जंगली पहाड के नीचे स्थित है, जो बहुत बड़ा नहीं है, फिर भी स्थानीय लोगों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय है। छी जडं तिब्बती औषधि कारखाना चीन में एक सब से बड़ा तिब्बती औषधि कारखाना है। कारखाने ने और ज्यादा तिब्बती औषधि का ज्ञान जानने वाले तिब्बती लोगों का प्रशिक्षण करने के लिए वर्ष 2004 में इस स्कूल की स्थापना की। हालांकि वह एक तिब्बती औषधि का स्कूल है, फिर भी वह आसपास की आम जनता का अस्पताल भी है। इस स्कूल के निदेशक श्री सुंगरेगुंशी ने हमें बताया,इस तिब्बती औषधि स्कूल की स्थापना से तिब्बती चिकित्सा शास्त्रियों व तकनीक को बरकरार रखने में बड़ा योगदान मिला है। इतना ही नहीं, वह आसपास की जनता के लिए भी बहुत लाभदायक है, चूंकि हम दवा दुकान की तुलना में कम पैसे लेते हैं। यदि वह गरीब है, तो दवा के पैसे नहीं लेते।

पहले श्री सुंगरेगुंशी शिकाजे प्रिफेक्चर के एक मठ में लामा थे, चूंकि उन्हें तिब्बती औषधि का बड़ा ज्ञान है, इसलिए, छी जडं तिब्बती औषधि कारखाना ने उन्हें इस स्कूल की स्थापना करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने हमें बताया कि अब उन के स्कूल में कुल 25 विद्यार्थी हैं। वे सब मुफ्त रुप से स्कूल में रहते हैं, खाते हैं और पढ़ते हैं। छी जडं तिब्बती औषधि कारखाना उन के लिए पैसे देता है।स्कूल के विद्यार्थी सभी गरीब परिवारों के आए हैं, जो इस स्कूल में पांच वर्ष तक पढ़ेंगे। यहां उन्हें तिब्बती औषधि-शास्त्र के अलावा, अंग्रेजी और राजनीति आदि की पढाई भी करवाई जाती है। स्नातक होने के बाद छी जडं कारखाना एवं लिनजी प्रिफेक्चर की सरकार संयुक्त रुप से उन्हें प्रमाण-पत्र देंगी। इस तरह, वे लोग अपने जन्मस्थान वापस लौटकर छोटे-छोटे क्लिनिक खोल सकेंगे।

श्री सुंगरेगुंशी ने हमें बताया कि तिब्बती औषधि की प्रमुख विचारधारा परम्परागत चीनी औषधि से मिलती जुलती है। देखना, पूछना, सूंघना तिब्बती चिकित्सा के बुनियादी तरीके हैं। इस के अलावा, एक्युपंक्चर ,छूना और नब्ज़ देखना आदि भी सामान्य तरीके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले उन के यहां आये एक रोगी का उदाहरण दिया। शिकाचे में एक एसा रोगी है, जिस की रीढ़ में दर्द है।वह शिकाचे अस्पताल में दिखाने के बाद भी अच्छा नहीं हुआ। उस के पैर में अकसर दर्द रहता था। इस के बाद वह हमारे यहां आया, लगभग दो महीनों के इलाज के बाद उस का दर्द बिलकुल गायब हो गया। पहले वह खेती में काम नहीं कर पाता था और केवल पलंग पर लेटा रहता था, अब वह बिलकुल स्वस्थ है और सामान्य आदमी की तरह खेती में काम कर सकता है।

श्री सुंगरेगुंशी की बात सुनकर हमें तिब्बती औषधि के आश्चर्यजनक प्रभाव के बारे में कुछ जानकारी मिली।

विद्यार्थी फूछ्वनसीरन इस स्कूल का एक विद्यार्थी है, जो पहले छी जडं तिब्बती औषधि कारखाना के बिक्री विभाग का कर्मचारी था । चूंकि वे अच्छी तरह तिब्बती भाषा जानता है, इसलिए, कारखाने ने उसे इस स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा है। जब हम ने उसे पूछा कि यहां पढ़ने का उस क्या मकसद है, तो उसने जवाब दिया,यहां पढ़ने का मकसद गांवों में रहने वाली जनता का इलाज करना है। यहां स्नातक होने के बाद मैं या तो छी जडं कारखाने वापस लौटूंगा, या तो गांवों में एक छोटा सा क्लिनिक खोलूंगा।

आजकल तिब्बती चिकित्सा विचारधारा देश-विदेश में लोकप्रिय हो रही है। चीन के भीतरी इलाके के पेइचिंग और थ्येनचिन आदि बड़े शहरों में तिब्बती चिकित्सा अस्पतालों की स्थापना की गयी है। इतना ही नहीं, ज्यादा से ज्यादा विदेशी लोग भी तिब्बती औषधि से रोगों का इलाज करवाने लगे हैं। अमरीका, जर्मनी, इटली व इजराइल आदि विश्व के 30 से ज्यादा देशों के डॉक्टर भी तिब्बती चिकित्सा विचारधारा सीखने के लिए तिब्बत आए हैं।

आप जो संगीत सुन रहे हैं, वह स्थानीय तिब्बती लोगों द्वारा चौक पर नाचते समय बजाया जाने वाला संगीत है। अब मीलिन काऊंटी देश के पश्चिमी भाग के जोरदार विकास की नीति के तहत, छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग और लिनजी हवाई अड्डे के बनने से तिब्बती चिकित्सा व्यवसाय के विकास पर जोर दे रही है और पारिस्थितिकी पर्यटन का विकास कर रही है। हमें विश्वास है कि तिब्बती चिकित्सा का जन्मस्थान मीलिन काऊंटी का भविष्य और उज्ज्वल होगा।