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(GMT+08:00) 2007-11-27 13:28:06    
आचार्य गसिछ्ये•छिचिमु और तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष

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तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष अब तक विश्व से सब से ज्यादा शब्दों व विषयों वाली तिब्बती भाषी ग्रंथावली है , जिस में एक करोड़ 85 लाख शब्द और 16 हजार तीन सौ 13 पृष्ठ हैं , जिस में तिब्बती जाति की हजार वर्ष लम्बी पुरानी संस्कृति के उत्कृष्ट विषय संगृहित है और तिब्बती जाति की लम्बी संस्कृति व इतिहास का श्रृंखलाबद्ध उल्लेख उपलब्ध है । तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष में तिब्बती जाति के शिल्प कला , चिकित्सा व औषधि , भाषा , दर्शन शास्त्र , नीति शास्त्र , पंचांग, काव्य, लेखन, संगीत और आपेरा आदि दस विषयों के ज्ञान विज्ञान शामिल हैं , जो तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ तिब्बती पिटक के मुख्य विषयों पर आधारित है ।

तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष बनाना आचार्य गसिखछ्ये .छिचिमु की तेज बुद्धि का साकार रूप है । इस महान पुस्तक को पूरा करने के लिए उन्होंने कांसू , छिंगहाई व सछ्वान प्रांतों तथा तिब्बत व भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेशों के अधिकांश मठों का दौरा किया और पेइचिंग व शांगहाई के अनेकों पुस्तकालयों व संग्रहालयों में तिब्बती जाति के दस प्राचीन शास्त्रों की मूल्यवान सामग्रियां जुटायी और बड़ी संख्या में विद्वानों व विशेषज्ञों से रायें ले लीं । उन्हों ने खुद धन राशि जुटा कर पेशेवर भिक्षुओं को प्रशिक्षित किया , जिन्हों ने तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष को संशोधित व प्रकाशित करने में बहुत सारे काम किए । तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष अकादमिक जगत के धुरंधर विद्वानों के शब्दों में तिब्बती जाति की श्रेष्ठ संस्कृति के दस प्राचीन शास्त्रों को एक सूत्र में बांधने का अभूतपूर्व महान काम करार किया गया । इस महान काम के उद्देश्य के बारे में आचार्य गसिखछ्ये ने कहाः

"हमें विकास और प्रगति करना चाहिए , लेकिन हमारी परम्परागत संस्कृति को भी नहीं त्याग दिया जा सकता । आधुनिक दुनिया में बहुत सी परम्परागत संस्कृतियां लुप्त हो गयीं , उस की जगह फास्ट फु़ड जैसी संस्कृति आई । हमारे चीनी राष्ट्र की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता व संस्कृति रही है। उन्हें बचाना और विरासत में लेना अत्यन्त महत्वपूर्ण है और उन्हें विकसित करना होगा ।"

आचार्य गसिखछ्ये ने कहा कि वे चीनी महान धर्माचार्य ह्नेन्सान का असीम समानादर करते हैं । बौद्ध मठ में पढ़ने के समय उन्हों ने ह्वेन्सान द्वारा अनुवदित भारतीय बौद्ध सूत्रों का लगन से अध्ययन किया । तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष संपादित करने में ह्वेन्सान की अद्मय भावना उन्हें हमेशा प्रेरित करती रही थी । उन्हों ने कहाः

"मैं ने जो एक करोड़ 85 लाख श्बदों वाली यह विशाल रचना की है , उस में तिब्बती धर्माचार्यों की बुद्धि और चेतन शामिल है , साथ ही महान धर्माचार्य ह्वेन्सान की बुद्धि और भावना भी गर्भित है । बालावस्था में बौद्ध सूत्र पढ़ने के दौरान हम ने ह्नेन्सान के बहुत से अनुवदित कामों का अध्ययन किया था । ह्वेन्सान ने 17 सालों का समय लगा कर भारत में बौद्ध सिद्धांतों का अध्ययन किया और उन्हें चीन में लाया । उन की अध्ययन भावना अडिग और अद्मय है और एक अमोल भावना है । वे हमेशा पूजनीय और सम्मानीय रहेगी । मैं भी चाहता हूं कि किसी न किसी दिन , मैं भी उन की भांति महान बुद्धिमान विद्वान बनूंगा । इस प्रकार के सपने से प्रोत्साहित हो कर मैं ने 15 सालों के अथक प्रयासों से तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष संपादित किया है ।"

पिछले वर्षों से आचार्य गसिखछ्ये ने विश्व के विभिन्न स्थानों का दौरा किया, वे क्रमशः जापान , दक्षिण कोरिया , मंगोलिया , मलेशिया , सिन्गापुर , अमरीका के न्यूयार्क व वाशिंगटन , कनाडा के वोंकवर , ओस्ट्रेलिया , फ्रांस और स्वीटर्जलैंड गए और बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने में लगे । उन्हों ने चीन और विश्व की बौद्ध संस्कृति के विकास के लिए अहम योगदान किया । आचार्य गसिखछ्ये का कहना है कि बौद्ध धर्म भी चीनी राष्ट्र की शानदार संस्कृति का एक भाग है , वर्तमान चीन की धर्म संबंधी नीति धार्मिक संस्कृति के विकास के लिए बहुत हितकारी है । उन्हों ने कहाः

"विभिन्न क्षेत्रों से देखा जाए, तो हमारे देश में भारी परिवर्तन आया है और बड़ी प्रगति हुई है । मुख्यतः आर्थिक व सांस्कृतिक विकास उल्लेखनीय है , बौद्ध धर्म सांस्कृतिक विकास का एक अंग है , वर्तमान चीन की धर्म नीति बहुत अच्छी है । गत अप्रैल में देश के चेचांग प्रांत में विश्व बौध घर्म मंच आयोजित हुआ , मैं भी मंच में शरीक हुआ । सितम्बर माह में ह्वेन्सान शास्त्र अनुसंधान गोष्ठी हुई , इस से जाहिर है कि चीन सरकार धार्मिक संस्कृति ,खास कर चीनी राष्ट्र की श्रेष्ठ परम्परागत संस्कृति का भरसक समर्थन करती है और मान्यता देती है ।"

जानकारी के अनुसार अब तिब्बती शास्त्र दशम विश्वकोष चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय, तिब्बत के पोताला महल , ल्हासा के जोंगा खाङ , चेबांग मठ , शेला मठ तथा छिंगहाई प्रांत के थार मठ आदि देश के अनेकों मठों तथा अमरीका कांग्रेस पुस्तकालय , कोलंबिया युनिवर्सिटी , जर्मनी के बोइन युनिवर्सिटी तथा हांगकांग विश्वविद्यालय आदि संस्थाओं में सुरक्षित हुए हैं । इस महान पुस्तक का आगे चीनी और अंग्रेजी भाषा में भी अनुवाद किया जाएगा , ताकि और ज्यादा लोग तिब्बत के विज्ञान व संस्कृति के बारे में जानकारी पाएं।