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(GMT+08:00) 2007-10-16 11:57:04    
नाई लोबा टाउनशिप के लोबा जाति के जीवन में परिवर्तन

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तिब्बत के दक्षिण पूर्वी भाग में चारों ओर प्राकृतिक जंगल से घिरा हुआ मिलिन कांउटी में नानईगो नामक क्षेत्र है । यहां कई किसान परिवार बसे हुए हैं, पहाड़ की तलहटी में गायों और बकरों के झुंड दिखाई देते हैं। यह है लोबा जाति का आवास स्थान----तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिनची प्रिफैक्चर में नानई लोबा टाउनशिप ।

वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व की तुलना में लोबा जाति के लोगों का जीवन स्तर बड़ा उन्नत हुआ है । नानई लोबा चाउनशिप के एक गांव का नाम है छाईचाओ । 66 वर्षीय दामा छाईचाओ गांव में सब से बड़ी उम्र वाली महिला हैं । पहले उन का जीवन बहुत कठिन था, आज का जीवन उन्हें अच्छा लगता है । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व अपने जीवन की याद करते हुए दामा ने भाव विभोकर कहा:

"शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व हमें भर पेट खाना नहीं मिलता था । उस समय प्रमुख खाने की चीज मकई थी । खाने के लिए हमें मौसम पर निर्भर रहना पड़ता था । अगर किसी वर्ष मौसन अच्छा नहीं होता था, तो हमारी फ़सल अच्छी नहीं होती थी और व्यक्ति व जानवर भर पेट खाना नहीं खा सकते थे। मुझे याद है कि बचपन में मेरे पास जूते भी नहीं थे । पहाड़ों के बाहर आने के बाद हमारा जीवन अच्छे से अच्छा हुआ है । वर्तमान में मेरे दो पुत्र घास मैदान में चरागाह का काम करते हैं । स्थानीय सरकार हमारी देखरेख करती है । हर वर्ष हमें खाद्य पदार्थ और वस्त्र के रूप में भत्ता प्रदान किया जाता है ।"

वर्तमान में लोबा जाति का जीवन बेहतर होता जा रहा है, विभिन्न सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था भी संपूर्ण हो रही है । आजकल छाईचाओ गांव में स्कूल की उम्र वाले बच्चों के दाखिले की दर शत प्रतिशत हो गयी है। गांव में सहयोग चिकित्सा व्यवस्था भी लागू की जा रही है । बीमारी का जोखिम कम हो गया है और लोगों का जीवन और सुखमय हुआ है।

गत वर्ष से स्थानीय सरकार ने पर्यटन के विकास पर जोर दिया है। नानई टाउनशिप में लोबा जाति के रीतिरिवाज़ व पर्यटन उत्सव और तिब्बती चिकित्सा व संस्कृति उत्सव का आयोजन किया गया , जिस से बाह्य दुनिया को लोबा जाति के विशेष रीति रिवाज़, खानपान, वस्त्र और स्थानीय संसाधनों की जानकारी मिली और स्थानीय अर्थतंत्र के विकास को आगे बढ़ने का अवसर मिला। नानई टाउनशिप की सरकार के अधिकारी श्री तङ छांगसोंग ने कहा:

"हमारे यहां मुख्य तौर पर रीति रिवाज़ पर्यटन और पारिवारिक पर्यटन का विकास हो रहा है । अब लोबा लोगों के रहने की स्थिति सुधरी है। पर्यटक आम नागरिकों के घर में आकर लोबा जाति के रीति रिवाज़ को देख सकते हैं, इस के साथ ही वे लोबा जाति के विशेष पकवानों का मज़ा भी उठा सकते हैं । पर्यटन के विकास से व्यवसाय़िक ढांचे में परिवर्तन आया है, इस से कृषि का व्यवसायिक ढांचा भी बदलेगा । वर्तमान में हमारे यहां मुख्य तौर पर जौ, गेहूं और सब्ज़ी उगायी जाती है । भविष्य में हम फल व फूल आदि आर्थिक कृषि उत्पादों का उत्पादन भी कर सकते हैं । लोबा लोगों द्वारा उगाए गई मक्की और आलू की अपनी प्राकृतिक विशेषता है । इस तरह हम अपनी विशेषता वाले उत्पादों को बाह्य दुनिया को दिखा सकते हैं, जिन में जातीय रीति रिवाज़, लोककथा और संगीत व नृत्य आदि भी शामिल हैं ।"

श्री तङ छांगसोंग ने जानकारी देते हुए कहा कि भविष्य में छाईचाओ गांव में मिथन गैस के विकास करने की योजना है । लोबा लोग अपनी जन्मभूमि को पूरी तरह बदलने की कोशिश करना चाहते हैं । पारम्परिक ईँधन के स्थान पर मिथन गैस के प्रयोग से ऊर्जा की किफायत होगी, और इस से पारिस्थितिकी पर्यावरण संरक्षण भी किया जा सकेगा । लोबा लोगों का भविष्य सुखमय व सुविधापूर्ण लगता है । 66 वर्षीए बुढ़े दामा ने खुशी के साथ लोबा जाति का गीत सुनाया, जिस में उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया । उन की कामना है कि भविष्य का जीवन और सुखमय हो।