• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-10-30 13:16:32    
तिब्बत में गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण

cri

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश एक ऐसा स्थल है, जहां प्रचुर गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष हैं । वर्ष 2005 के 31 दिसम्बर को चीन द्वारा पारित की गई प्रथम खेप वाली गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूची में 501 किस्में शामिल हैं जिन में अल्पसंख्यक जातियों की 165 किस्में हैं, जो कुल मात्रा का 33 प्रतिशत बनता है । इन 165 अल्पसंख्यक जातीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों में तिब्बत की 21 किस्में हैं, जिन में तिब्बत के《महान राजा कैसर》, तिब्बती ऑपेरा, लोका प्रिफैक्चर का मनबा ऑपेरा , श्यावनज़ी नृत्य, क्वोच्वांग नृत्य, रबा नृत्य, लोका प्रिफैक्चर का चोवू नृत्य, शिकाज़े के जाशलंबू मठ के छ्यांगमू, तिब्बती जाति के थांग खा चित्र, लाह्सा की पतंग, तिब्बती जाति की काग़ज़ बनाने की कला तथा तिब्बती कालीन बनाने की तकनीक आदि शामिल हैं । उक्त गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष साहित्य, नृत्य, नाटक, ललितकला और परम्परागत औषधि से जुड़े हुए हैं ।

सुधार और खुले द्वारा की नीति लागू की जाने के बाद चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के व्यापक शहरों व कांऊटियों में अलग-अलग तौर पर गैरपेशावर सांस्कृतिक व कलात्मक दलों तथा तिब्बती ऑपेरा दलों की स्थापना की है। अब तक सारे प्रदेश में कुल 17 गैर सरकारी लोक कला दल, 500 से ज्यादा गैरपेशावर सांस्कृतिक व कलात्मक प्रदर्शन दल तथा 160 से ज्यादा तिब्बत ऑपेरा प्रदर्शन दल हैं । ये दल साल भर गांवों व चरागाह क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं और अनियमित तौर पर किसानों व चरवाहों के लिए सांस्कृतिक व कलात्मक प्रदर्शन आयोजित करते हैं, जिन का तिब्बत वासियों ने जोरदार स्वागत किया है । इस तरह तिब्बत के इतिहास में अनेक श्रेष्ठ परम्परागत नाटक और ऑपेरा इसी प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों से आज तक सुरक्षित रहे हैं और विकास कर रहे हैं । चीनी केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय के प्रोफैसर श्री सो वनछिंग ने कहा:

"तिब्बत की विभिन्न स्तरीय सरकारें तिब्बती जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले परम्परागत सांस्कृतिक त्योहारों व उत्सवों को भारी महत्व देती हैं। क्योंकि तिब्बती परम्परागत त्योहार व उत्सव गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों का एक अहम अंग हैं । तिब्बती परम्परागत सांस्कृतिक त्योहारों के आगमन पर तिब्बती ऑपेरा और नृत्य-गान प्रदर्शनी समेत विविधतापूर्ण सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं । मसलन वर्तमान के हर एक साल में तिब्बत में लोका प्रिफैक्चर में यालूंग कला उत्सव, छांगतु प्रिफैक्चर में खांगबा कला उत्सव, नाछ्वी प्रिफैक्चर में छियाछिंग घोड़ा प्रतियोगिता उत्सव, राजधानी लाह्सा में श्येतुन उत्सव, आली प्रिफैक्चर में श्यांगशोंग उत्सव तथा च्यांगजी क्षेत्र में दामा उत्सव आदि मनाया जाता है । ये उत्सव अब तिब्बत के उत्सवों का मशहूर मार्क बन गए हैं।"

तिब्बती ऑपेरा, तिब्बती काग़ज़, थांगखा चित्र, तिब्बती जड़ी-बूटी, तिब्बती औषधि, तिब्बती खगोल और तिब्बती कालीन इत्यादि तिब्बती संस्कृति के मूल्यवान भाग हैं । संबंधित विभागों ने इन सांस्कृतिक अवशेषों के सर्वेक्षण व पंजीकरण के दौरान पता लगाया कि तिब्बती परम्परागत सांस्कृतिक अवशेषों के उत्तराधिकारी के अभाव की स्थिति गंभीर है । अनेक कलाकार बूढ़े होने पर भी उत्तराधिकारी नहीं बना पाते । इन बूढ़े कलाकारों के देहांत के बाद उन की कला के विलुप्त होने की संभावना है । इस तरह सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण व विकास के लिए भारी चुनौती सामने आ रही है । इस सवाल को हल करने के लिए चीन सरकार ने भारी धनराशि व मानव शक्ति लगाई है। चीन योजनानुसार कलाकारों के उत्तराधिकारियों का प्रशिक्षण करता है ।

चीनी केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय के प्रोफैसर श्री सोवनछिंग ने कहा कि तिब्बत में अनेक सुयोग्य व्यक्ति ही नहीं, पारिस्थितिकी पर्यटन संसाधन भी पर्याप्त हैं । छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद और ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटक तिब्बत आएंगे, जिस से तिब्बत के पर्यटन उद्योग के विकास के लिए नए सुअवसर पैदा होगें । ऐसी स्थिति में तिब्बत में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण को मज़बूत किए जाने के साथ-साथ गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के प्रयोग व विकास पर भी जोर दिया जाना चाहिए, ताकि तिब्बत के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाया जा सके । उन्होंने कहा

"तिब्बत एक रहस्यमय पवित्र स्थल है, यहां पर्याप्त प्राकृतिक मूल्यवान संसाधन हैं । हमें पक्का विश्वास है कि हमारी पीढ़ी वाले लोग तिब्बत के प्रचुर भौतिक और गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों का अच्छी तरह संरक्षण कर सकते हैं, ताकि तिब्बती संस्कृति की रोशनी चिरस्थाई तौर पर चमकदार रहेगी "