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(GMT+08:00) 2007-09-11 14:55:00    
धूमधाम से मनाया गया तिब्बती श्वेतुन त्योहार

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इस वर्ष अगस्त की 12 से 18 तारीख तक चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में परम्परागत त्योहार--- श्वेतुन त्योहार मनाया गया । हर वर्ष श्वेतुन त्योहार के दौरान राजधानी ल्हासा खुशी के माहौल में डूब जाती है । तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों से आए तिब्बती लोग ल्हासा आकर पर्यटकों के साथ इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं ।

तिब्बती पंचांग के अनुसार, हर वर्ष के सातवें महीने की पहली तारीख को श्वेतुन त्योहार मनाया जाता है। यह तिब्बती लोगों का परम्परागत त्योहार है, जिस का लम्बा पुराना इतिहास है । तिब्बती भाषा में"श्वे"का मतलब है"दही"और"तुन"का मतलब"खाना"। इस तरह"श्वेतुन"का अर्थ होता है"दही खाना"। जाहिर है कि श्वेतुन त्योहार तो दही खाने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है । किन्तु कालांतर में श्वेतुन त्योहार के विषयों में काफी परिवर्तन आया और दही खाने की जगह मुख्य तौर पर तिब्बती ऑपेरा ने ले ली, इस के कारण इस त्योहार को तिब्बती ऑपेरा त्योहार भी कहा जाने लगा।

परम्परागत श्वेतुन त्योहार का संचालन मुख्यतया तिब्बत के तीन प्रमुख मठों में से एक ज़ाइबुंग मठ करता है । इस लिए श्वेतुन त्योहार के प्रथम दिन को ज़ाइबुंग थ्वेतुन भी कहा जाता है ।

श्वेतुन त्योहार के प्रथम दिन की सुबह तिब्बती लोग विभिन्न स्थानों से राजधानी ल्हासा के पश्चिम भाग में स्थित जाइबुंग मठ एकत्र होते हैं। इस दिन मठ में एक विशाल लोह ढांचे पर बुद्ध का शानदार चित्र फैला कर दिखाया जाता है। यह श्वेतुन त्योहार की शुरूआती रस्म है । ज़ाइबुंग मठ के भिक्षु धार्मिक वाद्य यंत्रों की धुन में तिब्बती थांगखा चित्रकला शैली में खिंची हुई एक शानदार बुद्ध तस्वीर को एक लोह के ढ़ांचे पर फैला कर रखते हैं, जिस पर बौद्ध धर्म के त्रिकाल के भगवान के रंगीन चित्र दिखाई देते हैं। त्रिकाल के भगवान में भूत काल, वर्तमान काल और भविष्य काल के तीन रूपों के बुद्ध भगवान हैं । शानदार बुद्ध चित्र की प्रदर्शन रस्म संपन्न होने के बाद तिब्बती लोग बड़ी आस्था के साथ आगे बढ़ कर चित्र के सामने पूजा प्रार्थना करते हैं और बुद्ध तस्वीर पर शुभ सूचक तिब्बती सफेद हाता और धन दौलत भेंट चढ़ाते हैं । ऊंचे विशाल पहाड़ पर रखे जाने के कारण यह विशाल बुद्ध तस्वीर दस किलोमीटर से भी दूर से साफ-साफ दिखाई देती है । बुद्ध तस्वीर दिखाने की रस्म बहुत शानदार है । तिब्बती बंधुओं और पर्यटक इस से बहुत प्रभावित होते हैं । अनेक पर्यटकों ने हमारे संवाददाता से कहा:

"मैं ने इसे देखने के लिए लम्बे समय तक इन्तजार किया । बुद्ध तस्वीर देख कर मैं बहुत प्रभावित हुआ और मेरी आंखों में आंसू भर आए।"

दूसरे पर्यटक का कहना है:"मैं बहुत प्रभावित हुआ । लगता है कि यह बहुत पवित्र गतिविधि है ।"

श्वेतुन त्योहार के दौरान लगभग एक लाख 80 हज़ार स्थानीय लोगों ने और देशी-विदेशी पर्यटकों ने बुद्ध तस्वीर देखने की रस्म में भाग लिया। श्वेतुन त्योहार की संयोजन कमेटी के सदस्य श्री जाशी फिंगत्सो ने संवाददाता से कहा कि विभिन्न स्थलों के पर्यटकों को आकृष्ट करने के लिए संयोजक कमेटी ने अनेक प्रसार-प्रचार कार्य किया है । उन का कहना है:

"गत वर्ष से ही हम ने देश के भीतरी इलाके के विभिन्न बड़े व मझौले शहरों में श्वेतुन त्योहार के सिफ़ारिश सम्मेलन आयोजित किए और श्वेतुन त्योहार के लिए विशेष तौर पर सरकारी वैब साइट खोली । चालू वर्ष में हम ने देश की दस से ज्यादा वैब साइटों पर श्वेतुन त्योहार मनाने के विषयों का प्रसार किया और वैब के जरिए तिब्बती ऑपेरा कार्यक्रम पेश किया। हमारा उद्देश्य है कि इन कोशिशों के जरिए श्वेतुन त्योहार को विश्व ध्यानाकर्षक त्योहार का रूप दिया जाए ।"

बुद्ध तस्वीर दिखाने की रस्म समाप्त करने के बाद श्वेतुन त्योहार का केंद्र राजधानी ल्हासा के नोर्पुलिंका पार्क में स्थानांतरण किया गया । पहले तिब्बत के स्थानीय राजनीतिक व धार्मिक नेता यहां रहते थे । श्वेतुन त्योहार के आगमन के पूर्व नोर्पुलिनका और उस के आसपास के जंगलों में रंगबिरंगे शीविर लगाए गए । राजधानी ल्हासा के लगभग सभी निवासी इस ग्रीन पार्क में आए । वे अपने गलीचे पर बैठकर लगन से तिब्बती ऑपेरा का मज़ा लेते हैं और अपने परिजनों, दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ स्वनिर्मित दही खाते हैं, जौ की शराब पीते हैं । अनेक पर्यटक तिब्बती लोगों की सभा में शामिल होते हैं और आराम करते हैं।

श्वेतुन त्योहार के दौरान नोर्पुलिनका में हर रोज़ सांस्कृतिक व कलात्मक प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं । इन में होर्समेनशिप और नीलगाय दौड़ प्रतियोगिता सब से ध्यानाकर्षक गतिविधियां हैं । ये दो गतिविधियां तिब्बती जाति के विभिन्न बड़े त्योहारों में आयोजित की जाती हैं। ये प्राचीन समय से आज तक सुरक्षित हैं । पेइचिंग से आए सुश्री य्वान ह्वेइ ने तिब्बती जाति के होर्समनशिप देखने के बाद कहा:

"मैं ने होर्समनशिप करने वाले व्यक्तियों की श्रेष्ठ तकनीक देखी और मुझे बहुत अच्छा लगा ।"

होर्समनशिप की तुलना में नीलगाय दौड़ प्रतियोगिता और दिलचस्प है । कई नीलगाय एक पंक्ति में खड़ी होकर तैयार हैं । प्रतियोगिता शुरू होने के बाद पीठ पर सवार खिलाड़ी अपनी-अपनी नीलगाय के साथ तेज़ गति से आगे दौड़ रहे हैं और नीलगायों के शरीर पर लगी घंटी की आवाज़ सुनाई दे रही है ।

रोज़ श्वेतुन त्योहार की खुशियां मनाने वाले लोग विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों देखते हैं । रात को वे मनोरंजन करते हैं । श्वेतुन त्योहार की उद्घाटन रस्म की रात को तिब्बत की राजधानी ल्हासा स्थित पोटाला महल के चौक पर धूमधाम से आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है । आतिशबाजियों से रात का अंधेर रोशनी में बदल जाता है और पोटाला महल इस रोशनी में और शानदार लगता है ।

वर्तमान में श्वेतुन त्योहार एक भव्य मेले के रूप में बदल गया है। इस में बुद्ध तस्वीर दिखाने की रस्म, सांस्कृतिक व कलात्मक प्रदर्शनी, खेलकूद प्रतियोगिता, व्यापार, पूंजी-निवेश, पर्यटन और आराम आदि गतिविधियां शामिल हैं । तिब्बती लोग इस त्योहार के दौरान खूब आनंद उठाते हैं और विभिन्न स्थलों से आए पर्यटक भी त्योहार में तिब्बत की विशेष संस्कृति का मज़ा लेते हैं । ल्हासा के उप मेयर श्री श्यू छङछांग ने चालू वर्ष के श्वेतुन त्योहार का मूल्यांकन करते हुए कहा:

"श्वेतुन त्योहार से ल्हासा के आर्थिक विकास और पूंजी निवेश में भारी लाभ हुआ है । श्वेतुन त्योहार के जरिए हम ल्हासा का प्रसार करते हैं, जिस से ल्हासा के पर्यटन उद्योग के विकास आगे बढ़ेगा । अपूर्ण आंकड़ों से पता चला है कि श्वेतुन त्योहार के दौरान हर रोज़ ल्हासा में ठहरने वाले पर्यटकों की संख्या चालीस हज़ार थी ।"

दोस्तो, अगर आप को मौका मिले, तो ल्हासा आकर तिब्बती जाति के इस परम्परागत त्योहार-- श्वेतुन त्योहार का अनुभव लीजिए । शानदार बुद्ध तस्वीर की दिखाई रस्म में भाग लेने, रहस्यमय तिब्बती ऑपेरा सुनने और तिब्बती स्वादिष्ट पकवान का मज़ा लेने से आप को तिब्बती संस्कृति का विशेष अहसास होगा ।