2014 के 17 से 19 सितंबर तक चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्रर मोदी के गृहभूमि गुजरात से शुरू हुई। यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच आर्थिक सहयोग,पूंजी निवेश और एक दूसरे के बीच आवाजाही के बारे में वार्ता हुई। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाया गया।
| 2013 में चीन और भारत के प्रधानमंत्रियों ने एक दूसरे के यहां यात्रा की, जो 1954 के बाद पहली बार ऐसा हुआ। 19 से 21 मई तक चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने भारत का दौरा किया। यह चीन के प्रधानमंत्री बनने के बाद ली खछ्यांग की पहली विदेश यात्रा थी, जिससे भारत का चीनी सरकार के प्रति ध्यान आकृषित। 22 से 25 अक्तबूर को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन की यात्रा की।
| वर्ष 2010 चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ थी। दोनों देशों ने सिलसिलेवार कार्यक्रम आयोजित किए। 1 अप्रैल को चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ, प्रधानमंत्री वन च्यापाओ और विदेश मंत्री यांग चेछी ने क्रमशः तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री कृष्णा को बधाई संदेश भेजे। मई में भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चीन की यात्रा की। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ और प्रधानमंत्री वन च्यापाओ समेत नेताओं ने पाटिल के साथ वार्ता की।
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जनवरी 2008 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन की यात्रा की। दोनों देशों ने पारम्परिक औषधि, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और भूमि संसाधन से जुड़े 10 सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। 21वीं सदी के लिए चीन और भारत की समान भविष्यवाणी शीर्षक दस्तावेज चीन-भारत संबंधों में मील का पत्थर माना जाता है। दिसंबर 2008 में चीन और भारत की थल सेनाओं ने भारत के बेलगाम में "हाथ में हाथ 2008" नामक दूसरा आतंकवाद विरोधी सैन्याभ्यास आयोजित किया।
| दिसंबर 2007 में चीन और भारत की थल सेनाओं ने दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में "हाथ में हाथ 2007" नामक पहला आतंकवाद विरोधी सैन्याभ्यास आयोजित किया।
| नवंबर 2006 में तत्कालीन चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ ने भारत की राजकीय यात्रा की और चीन-भारत मैत्रीपूर्ण वर्ष के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। दोनों देशों ने संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की योजना तैयार हुई। चीन-भारत रणनीतिक साझेदारी एक बार फिर मजबूत हुआ। इसके अलावा, राजनयिक, आयात-निर्यात और कृषि आदि व्यापक क्षेत्रों में सहयोग के 13 समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। हू चिनथाओ की इस भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच समझदारी और विश्वास मजबूत हुआ, जो द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने में अहम थी।
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अप्रैल 2005 में तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री वन च्यापाओ ने भारत की यात्रा की। दोनों देशों ने शांति और समृद्धि के उन्मुख रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने की घोषणा की। दोनों देशों ने सीमा विवाद के समाधान के बारे में राजनीतिक मार्गदर्शन सिद्धांत समझौता भी संपन्न किया, जिससे जाहिर हुआ कि चीन-भारत सीमा वार्ता एक नए दौर से गुजर रही है।
| 28 जून 2004 को शांतिपूर्ण सहअस्तितव के पांच सिद्धांत की प्रस्तुति की 50वीं वर्षगांठ थी। उसी दिन चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ और प्रधानमंत्री वन च्यापाओ ने क्रमशः भारतीय राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बधाई संदेश भेजे।
| 21वीं सदी की शुरूआत में चीन-भारत संबंध एक नया अध्याय जुड़ा। दोनों देशों के नेता शांति और समृद्धि के उन्मुख रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने में संलग्न रहें। जून 2003 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चीन का दौरा किया। चीन और भारत ने द्विपक्षीय संबंध सिद्धांत और चतुर्मुखी सहयोग घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये, जिससे द्विपक्षीय संबंधों के विकास का लक्ष्य निर्धारित हुआ। घोषणा पत्र दोनों देशों के बीच दीर्घकालीन और रचनात्मक साझेदारी का विकास वाला दस्तावेज साबित हुआ, जिससे जाहिर होता है कि चीन-भारत संबंध विकास के नए दौर से गुजर रहे हैं।
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फरवरी 2000 में चीन और भारत ने पेइचिंग में विश्व व्यापार संगठन में चीन की भागीदारी पर समझौता संपन्न किया। मई 2000 में भारतीय राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने चीन की यात्रा की, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और समझदारी बढ़ी।
| नवंबर 1996 में तत्कालीन चीनी राष्ट्राध्यक्ष च्यांग चमिन ने निमंत्रण पर भारत की यात्रा की। यह चीनी राष्ट्राध्यक्ष का पहला भारत दौरा था, जो इतिहास के पन्नों में चीन-भारत संबंधों का एक नया अध्याय जुड़ गया।
| दिसंबर 1988 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली फंग के निमंत्रण पर चीन की राजकीय यात्रा की। इससे दोनों देशों के नेताओं के बीच 28 सालों तक स्थगित वार्ता बहाल हुई। यह चीन-भारत संबंधों के सामान्यीकरण का घोतक था।
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लम्बे समय के टकराव के बाद चीन और भारत द्विपक्षीय मैत्रीपूर्ण संबंध बढ़ाने का महत्व समझने लगे। 70 के दशक में दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय संबंध सामान्य बनाने के लिए व्यापक कोशिशें कीं। जुलाई 1976 में चीन और भारत ने राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंध बहाल किए।
| 50 के दशक के अंत में सीमा और तिब्बत मुद्दों पर चीन और भारत के बीच विवाद का विस्तार हो गया। दोनों देशों के संबंध इतिहास में सबसे निम्न स्तर पर चले गए। अक्तूबर 1962 में चीन और भारत के बीच सीमा युद्ध हुआ।
| अप्रैल 1955 में पहला एशियाई-अफ़्रीक़ी सम्मेलन, यानी बांडुंग सम्मेलन इंडोनेशिया में आयोजित हुआ। चीन और भारत के प्रधानमंत्रियों ने सम्मेलन के दौरान एशियाई और अफ्रीकी देशों की एकजुटता की गारंटी करने के लिए कारगर सहयोग किया, जिससे सम्मेलन की सफलता सुनिश्चित हो सकी।
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जून 1954 में तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री च्रो एनलाई ने निमंत्रण पर भारत की राजकीय यात्रा की। यह गैर-समाजवादी देश के लिए चीनी नेता का पहला दौरा था। यात्रा के दौरान चीन के तिब्बत और भारत के बीच व्यापारिक और परिवहन समझौता संपन्न हुआ। चीन और भारत ने शांतिपूर्ण सहअस्तितव के पांच सिद्धांत पेश किये। अक्तूबर 1954 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन की यात्रा की, जो नए चीन की स्थापना के बाद चीन का दौरा करने वाले पहले विदेशी नेता थे। एक ही वर्ष में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने एक दूसरे देश की यात्रा की जो चीन-भारत मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास को बल मिला।
| अप्रैल 1950 को चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई। भारत चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला गैर-समाजवादी देश था। विश्व शांति प्रवर्तन में दोनों देशों के बीच व्यापक सहमति और सहयोग कायम हुए और उच्च स्तरीय आदान-प्रदान घनिष्ठ हुआ। द्विपक्षीय संबंधों के विकास की प्रवृत्ति के अनुकूल रहा।
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