भारतीय प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पद संभालने के बाद 14 मई से 16 तक पहली बार चीन यात्रा की, जो दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय आवाजाही मानी जाती है। भारतीय राजनयिकों, विशेषज्ञों और मीडिया ने इस यात्रा में प्राप्त उपलब्धियों का स्वागत किया । उन के विचार में इस यात्रा से दोनों देशों के राजनीति, व्यापार व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों के सहयोग को बढावा मिलेगा ।
वरिष्ठ रणनीतिक विश्लेषक रमेश चोपड़ा ने कहा कि वर्ष 1954 में प्रधानमंत्री नेहरू की चीन यात्रा से दोनों देशों के संबंधों का आधार तैयार किया गया था। वर्ष 1988 में राजीव गांधी की चीन यात्रा से भारत-चीन संबंध बहाल व विकास के दौर में प्रवेश किया । मोदी की इस यात्रा को दोनों देशों के संबंधों का तीसरा मील-पत्थर माना जा सकता है।
राज्य सभा के सदस्य तरुण विजय ने कहा कि शीअन में दोनों नेताओं की ऐतिहासिक वार्ता में पारस्परिक राजनीति भरोसा बढ़ाने और व्यापारिक सहयोग व सांस्कृतिक आदान-प्रदान मज़बूत करने पर अहम समानताएं संपन्न की गयी । इससे ज़ाहिर है कि दोनों देशों के संबंध नये स्तर पर पहुंचे हैं। दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास में नयी शक्ति डाली है।
चीन स्थित पूर्व भारतीय राजदूत रंजित गुप्ता ने कहा कि दोनों देशों के बीच संपन्न आर्थिक व व्यापारिक सहयोग समझौते प्रशंसा लायक हैं, जिनमें रेलवे पर सहयोग, छेंगतू व चैन्नाई में नये काउंसुलर की स्थापना और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने समेत विषय शामिल है। गुप्ता को विश्वास है कि दोनों देश इन समझौतों को संजीदगी से अमल में लाएंगे, जिससे दोनों दोशों का सहयोग नये दौर से गुज़रेगा।
साथ ही भारती मीडिया ने दोनों देशों के कई क्षेत्रों में संपन्न सहयोग समझौतों पर ध्यान दिया है। उदाहरण करें, तो चीन-भारत का राज्य स्तरीय सहयोग विस्तृत होगा। पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत में चीन से सटे प्रदेशों की सरकारों ने कहा कि मोदी की इस यात्रा से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को नया मौका मिलेगा।(लिली)