भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन आने से पहले चीन के माइक्रोब्लॉगिंग साइट "वेइपो" पर अपना खाता खोलकर ख़ासा लोकप्रिय हो गये है। मोदी ने यह जता दिया कि उनकी चीन यात्रा अनेक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की आधारशिला रखेगी और एशिया में स्थिरता, प्रगति तथा समृद्धि को मजबूत करेगी। उन्होंने ट्विटर और फेसबुक की ही तरह मशहूर चीन की माइक्रोब्लॉग सीना वेइबो पर पोस्ट किया, हेलो चाइना। वेइबो के जरिए अपने चीनी मित्रों के साथ संवाद को लेकर उत्साहित हूं। इसके बाद एक अन्य पोस्ट में उन्होंने बौद्ध धर्म के कारण भारत और चीन के बीच विकसित हुए संबंधों को रेखांकित किया और कहा कि इसमें इस सदी को एशिया की सदी बनाने की शक्ति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद संभालने के बाद मोदी पहली बार चीन की यात्रा कर रहे हैं। मोदी 14 से 16 मई तक चीन की यात्रा करेंगे जिसमें बीजिंग और शंघाई के अलावा राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पैतृक स्थान शियान भी जाएंगे। पिछले साल सितंबर में हुई भारत यात्रा के दौरान मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में शी चिनफिंग की मेजबानी की थी। इस प्रकार का प्रतीकात्मक आदान-प्रदान हमें अतीत से जोड़ेगा और भविष्य की ओर ले जाएगा। चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग की पिछले साल की भारत यात्रा के बाद मोदी चीन की इस यात्रा पर जा रहे हैं और चीन के राष्ट्रपति इस दौरान उनका कुछ उसी भव्य तरीके से स्वागत करना चाहते हैं जैसा कि उनका अहमदाबाद में किया गया था। ऐसा कम ही होता है कि चीनी नेता विदेशी मेहमानों का स्वागत बीजिंग से इतर किसी अन्य शहर में करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा पर दुनिया की नजर टिकी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ये दोनों देश दुनिया की उभरती हुई महाशक्तियां हैं और गहरे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रिश्तों के बावजूद दोनों राष्ट्रों के बीच सीमा विवाद सहित कई मुद्दों पर मतभेद हैं। वैसे भी इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंध स्थापना की 65वीं वर्षगांठ है। इसके चलते दोनों देशों की सरकारें सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर बल दे रही हैं। साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश भी है। मोदी अपनी चीन यात्रा के दौरान "मेक इन इंडिया" प्रोजेक्ट और आधारभूत संरचना क्षेत्र में चीन के निवेश को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के सीमा मामलों पर कोई बडी घोषणा करने की तो उम्मीद नहीं है लेकिन विश्वास बहाली के कुछ और उपायों की घोषणा की जा सकती है।
चीन दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ दोनों देशों के आपसी सामरिक व कूटनीतिक महत्व के मुद्दों सहित वहां के प्रमुख बिजनेस लीडर के साथ वार्ता करेंगे। दस साल पहले, चीन व भारत का कुल व्यापार सिर्फ 1 अरब डॉलर था, जो वर्तमान में लगभग 70 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। हो सकता है कि इस दौरान दोनों राष्ट्रों के बीच 10 बिलियन डॉलर का करार हो जाए। आधारभूत संरचनाओं व स्मार्ट सिटी परियोजना पर भी आपसी सहयोग की बात संभव है। मोदी अपने मेक इन इंडिया फार्मूले को भी चीनी उद्यमियों को समझाने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यात्रा के दौरान शंघाई शहर भी जायेंगे। वहां, वे अमेरिका और आस्ट्रेलिया की तर्ज पर भारतीय समुदाय को भी संबोधित कर सकते हैं। चीन में बसे 45000 भारतीयों को एक जगह पर संबोधित करने वाले वह पहले भारतीय नेता होंगे।
उम्मीद है कि मोदी की चीन यात्रा से दो प्राचीन सभ्यताओं और दो सबसे बड़े विकासशील देशों के बीच दोस्ती को बढ़ाने में जरूर लाभ मिलेगा। इससे अनेक क्षेत्रों में चीन के साथ आर्थिक सहयोग का और अधिक विस्तार करने की आधारशिला रखी जाएगी। हालांकि जब दोनों देश आपसी विश्वास व सहमतियों को बढ़ाएंगे, पारस्परिक लाभ वाले सहयोग संबंधों का सक्रिय विकास करेंगे और एक दूसरे के हितों व चिंताओं पर ध्यान देंगे, तो यकीनन चीन-भारत संबंधों का भविष्य जरूर बेहतर होगा।
(अखिल पाराशर, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, बीजिंग)