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    चीन-भारत मित्रवत संबंध से दक्षिण एशिया को मिलेगा लाभ
    2015-05-14 10:51:13 cri

    भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 मई से अपनी तीन दिवसीय चीन यात्रा शुरू की। अपनी यात्रा के पूर्व मोदी ने कहा था कि मौजूदा यात्रा से चीन भारत संबंध को मज़बूत करने के साथ-साथ विकासशील देशों के बीच सहयोग भी बढ़ेगा। मोदी की इस कथन से आस-पड़ोस क्षेत्र विशेष कर दक्षिण एशियाई देशों को एक सक्रिय सिग्नल मिला है। यानी भारत और चीन इसी क्षेत्र में समान जीत और सहअस्तित्व साकार करेंगे, दोनों देशों के सहयोग से पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को लाभ मिलेगा।

    पुनरुत्थान विकासशील देशों के नाते चीन और भारत की कूटनीतिक रणनीति समान है। दोनों देशों ने पड़ोसी क्षेत्र को अपनी कूटनीतिक रणनीति में अहम स्थान रखा। क्योंकि स्थिर आसपड़ोस स्थिति नवोदित देश के उत्थान का अपरिहार्य पूर्वशर्त है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने पड़ोसी देशों के प्रति सिलसिलेवार कूटनीतिक कार्रवाई की। जबकि चीन ने पड़ोसी देशों के प्रति"स्नेहपूर्ण, ईमानदार, उदार और सहनशील"वाली कूटनीतिक अवधारणा "एक पट्टी एक मार्ग"वाला प्रस्ताव पेश किया। चीन और भारत की रणनीति में समानताओं से दक्षिण एशिया में दोनों देशों का सहअस्तित्व संभावित होगा।

    चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग में भारत विशेष पात्र निभाता है। दक्षिण एशिया में प्राथमिक देश के रूप में भारत दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में बड़ा असर डालता है। चीन के दक्षिण एशिया देशों के साथ संबंध विकास करने दौरान भारत के प्रति संबंध भी मज़बूत करेगा।

    सार्क आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया में गति धीमी होने के कारण भारत संभवतः अंत में चीन को"सदस्यता"देगा। सार्क के विभिन्न देशों के मिलते-जुलते आर्थिक ढांचे, एक दूसरे की आपूर्ति में कमी, भारत की तुलना में दूसरे सार्क देशों का बड़ा असंतुलन से सार्क की एकीकरण में बाधा आयी। सार्क के भीतर जीवन शक्ति के अभाव की वजह से बाहरी प्रेरणा शक्ति की आवश्यकता है। चीन की बैंकिंग शक्ति, बाज़ार का पैमाना, विनिर्माण उद्योग में स्थानांतरण जैसे पहलुओं से सार्क को फायदा मिलेगा। इस तरह सार्क के एकीकरण की खोज में संलग्न रहे भारत चीन अपना साथी चुनना चाहता है।

    दक्षिण एशियाई स्थिति को बनाए रखने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय बड़े देशों की समान कोशिश चाहिए। अफ़गान का उदाहरण लें, इधर के सालों में चीन ने अफ़गानिस्तान के पुनर्निर्माण का ज्यादा समर्थन किया, जबकि इस देश में भारत का बड़ा असर भी होता है। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच मुठभेड़ का नियंत्रण बाहरी शक्ति का ताल-मेल चाहिए। इस तरह चीन-भारत संबंध वर्तमान विकसित रूझान बरकरार रहते हुए दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति आम तौर पर स्थिरता बनी रहेगी।

    अंत में चीन का "सामंजस्यपूर्ण"अवधारणा और भारतीय संस्कृति में बहु पक्षीय सहनशीलता दक्षिण एशिया में दोनों देशों के सह-अस्तित्व का आध्यात्मिक आधार भी है। चीन ने प्रस्तुत नई एशियाई सुरक्षा अवधारणा पेश की, यह नए युग में चीन और भारत के बीच प्रस्तुत पंचशील सिद्धांत का विस्तार है। जिसका केंद्रिय विषय सामंजस्य ही है। वहीं चीन द्वारा प्रस्तुत"एक पट्टी एक मार्ग"वाला प्रस्ताव का मूल अर्थ शांति, सहयोग, खुलेपन, सहनशील, समान जीत और अप्रतिद्वंद्वी शामिल हैं। सांस्कृतिक सहनशीलता से वास्तविक क्षेत्रीय मेलमिलाप मज़बूत किया जाएगा। अगर चीन और भारत आपस में मौजूद विवाद का अच्छी तरह नियंत्रण करते हुए भविष्य और सहयोग पर उन्मुख कर एक साथ एशियाई सदी का स्वागत कर सकेंगे।

     (श्याओ थांग)

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