भारतीय प्रधानमंत्री नरंद्र मोदी ने 14 मई को चीन की औपचारिक यात्रा शुरु की। यह प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है। अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान वे प्राचीन शीआन, पेइचिंग और शांगहाई का दौरा करेंगे। चीन-भारत संबंध को सर्वांगीर्ण तौर पर मज़बूत करना, चीन के प्रति व्यापारिक असंतुलन कम करना और सीमा विवाद के समाधान को आगे बढ़ाना मोदी की यात्रा का मुख्य विषय बनेंगे।
10 दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की माइक्रोब्लागिंग साइट विबो पर अकाउंट खोलकर चीनी नागरिकों का सम्मान करते हुए अपनी चीन यात्रा की प्रतिक्षा के बारे में लिखा। चीन स्थित भारतीय राजदूत अशोक कंठ के अनुसार सिना विबो का अकांउट खोलना प्रधानमंत्री मोदी की एक सृजनात्मक कार्रवाई ही है।
प्रधानमंत्री मोदी ट्विट्टर और फ़ेसबुक पर लंबे समय से सक्रिय हैं। इस बार उन्होंने चीन की सोशल वैबसाइट पर अकांउट खोला, जिसके बाद चीनी नेटीजनों ने स्वागत किया। पहले विबो में उन्होंने मात्र"नमस्ते चीन (你好中国)"जैसे शब्द लिखे, लेकिन 10 हज़ार से अधिक नेटीजनों ने इस पर ध्यान दिया और कई दिनों के बाद इस विबो अकांउट पर मोदी के फौलोवर 45 हज़ार से अधिक हो गए।
पिछले वर्ष सितंबर माह में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने अपनी भारत यात्रा के पहले पड़ाव को गुजरात चुना, जो पीएम मोदी का गृहराज्य है। इस बार मोदी ने अपनी चीन यात्रा प्राचीन शहर शीआन से शुरु की, जो शी चिनफिंग का जन्मस्थल है। शीआन यात्रा के दौरान राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग मोदी के साथ-साथ होंगे। मोदी ने अपने सिना विबो में शी का आभार व्यक्त किया।
वास्तव में राजधानी के अलावा चीनी राष्ट्राध्यक्ष के किसी दूसरे शहर में किसी विदेशी शासनाध्यक्ष के साथ साथ होना चीन के कूटनीतिक कार्रवाई बहुत कम है। लोकमत है कि इसी पहलु से जाहिर है कि चीन-भारत संबंध सबसे अच्छे दौर से गुजर रहा है।
शीआन की यात्रा के दौरान शी चिनफिंग मोदी के साथ महा छीएन मंदिर का दौरा करेंगे। जहां महाचार्य ह्वेसांग द्वारा प्रचीन भारत से लाए गए बौद्ध धर्म के सूत्र और बुद्ध मूर्ति सुरक्षित हैं।
शीआन की यात्रा से चीनी और भारतीय शीर्ष नेताओं के बीच दोस्ती झलकेगी। वहीं राजधानी पेइचिंग की यात्रा से वास्तविकता दिखेगी। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग मोदी के लिए विशेष स्वागत रस्म आयोजित करेंगे और उनके साथ वार्ता करेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापारिक असंतुलन को कम करने पर चर्चा की जाएगी। यह अपनी चीन यात्रा में मोदी की सबसे बड़ी चिंता है। वर्तमान में चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार बन गया है। भारत पक्ष के आंकड़ों के मुताबिक चीन के प्रति भारत का व्यापारिक असंतुलन वर्ष 2001-2002 के एक अरब डॉलर से बढ़कर अब तक 40 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे के अलावा सीमा विवाद दोनों देशों के बीच खड़ा एक अपरिहार्य मामला है। इसकी चर्चा में चीनी अंतरराष्ट्रीय मामला अनुसंधान संस्थान के उप प्रधान रुआन त्सोंगत्से ने कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा विवाद जटिल है, एक ही यात्रा के माध्यम से इस में प्रगति हासिल करना असंभव है। उनका कहना है:"पिछले हज़ारों वर्षों में चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी के रूप में मित्रवत रूप से रहते हैं। इस विवाद से वास्तविक असर जरूर पड़ेगा, लेकिन मैत्रीपूर्ण सहअस्तित्व की तुलना में वह बहुत अल्पकालीन बात है। नई स्थिति में हम दोनों देशों को सीमा विवाद का अच्छी तरह समाधान करना चाहिए। वर्तमान में मुख्य तौर पर कई मतभेदों का नियंत्रण किया जाना जरूरी है। विशेषकर पारस्परिक विश्वास कदम मज़बूत करते हुए सीमा क्षेत्र की शांति और स्थिरता की रक्षा की जाएगी। ताकि चीन-भारत संबंध के और आगे विकास के लिए अनुकूल स्थिति तैयार हो सके।"
(श्याओ थांग)