उसी साल, पानच्वे लुनबु गांव स्थित फाला जागीर के मालिक भी विद्रोहियों के साथ विदेश में भाग गए। इसके बाद स्थानीय सरकार ने फाला जागीर और कुलीन लोगों के वस्तुओं व साधनों को जब्त किया। इस प्रकार तानजङ के परिवार समेत सभी भूदासों को आजादी मिली।
इसके बाद कई सालों में पानच्वे लुन्बु गांव में सहकारी उत्पादन दल की स्थापना हुई और सभी गांववासी को अपनी अपनी खेती योग्य भूमि प्राप्त हुई। तानजङ पहले की तरह भेड़-बकरी चराने का काम संभालता रहा। उन्होंने कहा कि पूर्व समय की तुलना में उत्पादन दल के लिए भेड़-बकरी चराने से हमें वेतन प्राप्त होता था, किन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब वे भूदास मालिक के लिए काम नहीं करते हैं, वे अपने और व्यापक गांववासियों के लिए काम करते हैं। तानजङ ने कहा:
"मैं भेड़-बकरी चराता था, मेरे खेत का जोगने व बोने का काम दूसरे गांववासी करते थे। पुराने जमाने में हम फाला जागीर के मालिक की सेवा करते थे, लेकिन बाद में हम सहकारी उत्पादन दल में भेड़ बकरी चराते हुए अपने और व्यापक जन समुदाय की सेवा करते हैं।"
तब से अब तक दर्जनों वर्ष बीत चुके हैं। तानजङ की उम्र भी बड़ी हो गई और अब वे कोई शारीरिक श्रम नहीं करते। इसतरह उन्होंने अपने खेतों का काम बेटे को सौंपा और आम समय में वे घर में आराम का जीवन बिताते हैं। कभी कभी आसपास के मठ जाकर धार्मिक चक्र घूमाने जाते हैं या पत्नि के साथ तिब्बत के विभिन्न स्थलों का दौरा करते हैं। अब वे पूरी तरह सुखमय जीवन का आनंद उठाते हैं। तानजङ ने कहा:
"आज का जीवन पहले की तुलना में जमान आसमान सा बदल गया है। हमाना वर्तमान जीवन समृद्ध हो गया। जो चाहते हैं, तो बाज़ार में खरीद कर लाते हैं, जहां की भी यात्रा करना चाहते हैं, तो वहां जाकर अच्छी तरह सैर सपाट करते हैं। मैं ल्हासा, नामूत्सो झील, लोका प्रिफैक्चर और आली प्रिफैक्चर का दौरा कर चुका है।"
गत वर्ष तानजङ के परिवार ने 400 वर्गमीटर वाली नई इमारत की स्थापना की। उसने उत्साहपूर्ण रूप से हमारे संवाददाता को अपने घर के दौरे का निमंत्रण दिया। दो मंजिली इमारत है, सभी कमरे रोशनीदार हैं और हर जगह गर्म गर्म लगती है। कमरे में तानजङ की पत्नि आराम से टेलिवेज़न प्रोग्राम देख रही है, पास मे एक घी बनाने वाली मशीन काम कर रही है। तानजङ ने कहा कि अब वे बेटे और पोता-पोती के साथ रहते हैं। पोता तीन उम्र का है और पोती 12 वर्ष की। भविष्य के जीवन के प्रति तानजङ की कोई खास अभिलाषा नहीं है, सिर्फ़ यह उम्मीद है कि पोता व पोती मेहनत से पढ़ेंगे और ज्ञान हासिल करेंगे। तानजङ ने कहा:
" मेरी आशा है कि पोता व पोती लगन से पढ़ेंगे। और आगे विश्विद्यालय में पढ़ने जाएंगे तथा ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करेंगे। उम्मीद है कि वे कृषि क्षेत्र में अच्छी तकनीक प्राप्त कर सकेंगे।"