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• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0902
आज फोकस में है देश से भ्रष्टाचार को हटाने के लिये अन्ना हजारे के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन में जन लोक पाल बिल का खुलासा। वास्तव में अन्ना हजारे और उन की टीम जिस जन लोक पाल को संसद में पास करवाने पर बल दे रही है, बहुत कम लोग जानते हैं कि यह जन लोक पाल बिल क्या है और संसद में यह कैसे पास होगा। इस पर हम ने एक बार फिर भारत में इगनो के प्रोफेसर व विद्वान चिंतक जवरी मल पारख जी से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0826
देखते ही देखते इस आंदोलन ने देश व्यापी स्वरुप धारण कर लिया है और इस में विशेष रूप से मध्यवर्ग के पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं। यह आंदोलन किसी सरकार के खिलाफ न हो कर व्यावस्था और खराब प्रशासन के खिलाफ है जिस में आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। इस आंदोलन के बारे में हम ने भारत में इगनों में प्रोफेसर और विद्वान चिंतक जवरीमल पारख से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0819
पिछले सप्ताह प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण के रिलीज होने से पहले ही चार प्रांतीय सरकारों ने उस के प्रदर्शन पर पाबंदी लगा दी। फिल्म देखने से पहले ही उस पर पाबंदी लगाने से जाहिर है कि आरक्षण का मुद्दा देश में बहुत संवेदनशील है। प्रकाश झा का कहना है कि उन की फिल्म का विरोध आरक्षण के पक्षधर और आरक्षण विरोधी दोनों ही कर रहे हैं और दोनों पक्षों ने फिल्म नहीं देखी है। आरक्षण को भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने बिना किसी सुधार के पास किया है। भारतीय समाज में आरक्षण का मुद्दा क्यों इतना संवेदनशील है और आज भारतीय समाज की इस टृष्टि से क्या स्थिति है, इस पर हम ने भारत के दिल्ली में प्रो. सलिल मिश्रा से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0805&0812
भारत के अनेक राज्यों में जनजातीय लोगों की समस्या। माओवादी व नक्सलवादी राजनीति भारत के अनेक राज्यों में हिंसा का रूप ले रही है। क्या यह आतंकवाद है, या कानून व प्रशासन की समस्या है या कुछ और। इसे समझने के लिये हम ने भारत के इगनों में प्रोफेसर विद्वान सलिल मिश्रा जी से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0722&0729
आज फोकस में है कि भारत के पश्चिमी बंगाल प्रदेश में हुआ राजनीतिक परिवर्तन। पश्चिमी बंगाल में चुनाव जीत कर सरकार बनाने और 34 सात तक लगातार राज्य करने का गौरव भारत में केवल कम्युनिष्टि पार्टी को है। लेकिन वे कौन से कारण हैं कि इस बार जनता ने कम्युनिष्ट पार्टी को विपक्ष में बैठने के लिये मतदान दिया है। इस पर विचार करने के लिये हम ने भारत में प्रसिद्ध पत्रकार और विद्वान राजेंद्ग शर्मा जी से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0708&0715
भारत के विश्व प्रसिद्ध चित्रकार अबूल फिजा हुसैन जिन की कुछ दिन पहले के एक अस्पताल में 95 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। एक बेहतरीन चित्रकार होने के साथ-साथ अबुल फिदा हुसैन दक्षिणपंथी विरोधी ताकतों के शिकार रहे और इसी कारण उन्हें कुछ साल पहले देश छोड़ कर विदेश में रहना पड़ा। हुसैन के जीवन और कला पर हम ने भारत में प्रोफेसर व विद्वान जवरी मल पारख से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0701
आप जानते ही हैं कि पर्यावरण की समस्या अब किसी एक देश या क्षेत्र से जुड़ी हुई समस्या नहीं सही है।पर्यावरण के प्रदूषित होने और जलवायु में हो रहे परिवर्तन ने सारी दुनिया को प्रभावित किया है और बेमौसमी बारिश,गर्मी,बाढ़,तेजी से पिघलते ग्लेशियर,सूखा,दूषित हो रहे जल स्रोत। सिमटते वन आदि ने विश्व के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी है जिस से निपटने के लिये विश्वव्यापी आपसी सहयोग की जरूरत है।दक्षिण एशिया में पर्यावरण की समस्या का क्या रूप है और उस के समाधान के लिये कैसे और क्या प्रयास किये जा रहे हैं।इसके लिये हम ने दिल्ली में इतिहासकार व सामजित चिंतक श्री अजेय महोरकर से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0617&0624
यह हुआ सन 80 के बाद के दौर में भारत की दिल्ली से एक आम नैन नक्श वाले एक युवक ने हिंदी फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया,जिस का वहां कोई माई बाप नहीं था,संपर्क नहीं थे,पैसा नहीं था,और सत्ता के गलियारों में कोई पहुंच नहीं थी।और यह युवक अपने सपनों को पूरा करने का हौंसला ले कर वहां पहुंचा और देखते ही देखते उसने लोगों के दिलों पर राद करना शुरू कर दिया।यह युवक था शाह रुख खान।शाह रुख खान,में वह सब कुछ है जो एक आम युवा के पास है।एक आम जिंदगी और सपने।इसलिये आज शाह रुख खान युवा वर्ग में इतना लोकप्रिय है।शाह रुख खान के इस सफर पर हम ने दिल्ली में प्रोफेसर जवरीमल पारख से बात की जो मीडिया विशेषज्ञ और जाने माने विद्वान है।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0603&0610
पिछले दो माह में भारत में पश्चिमी बंगाल,केरल,तमिलनाडु,आसाम व पांडीचेरी में चुनाव हुए जिस में सत्ताधारी दलों को हार का सामना करना पड़ा है वहीं कांग्रेस ने केंद्र में भ्रष्टाचार के अनेक घोटालों में घिरे होने के बाद अच्छा प्रदर्शन किया है।इन चुनावों को छोटे आम चुनाव के रुप में भी देखा जा रहा है।पच्छिमी बंगाल में वामपथी सरकार लगातार 34 साल तक सत्ता में रहने के बाद इस बार विपक्ष में बैठगी।इन चुनावों का भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ेगा और ये चुनाव जनता की आकांक्षाओं को किस रुप में अभिव्यक्त करते हैं,इस बारे में हम ने दिल्ली में प्रसिद्ध पत्रकार श्री राजेंद्र शर्मा जी के विचार जानने के लिये उन से बात की।
• दक्षिण एशिया पर आधारित कार्यक्रम पत्रिका-0520&0527
कुछ दशक पहले दुनिया में आतंकवाद का विस्तार और आतंक ऐसा नहीं था जैसा वह आज है।आज आतंकवाद के प्रभाव से दुनिया का शायद ही कोई देश बचा हो,विशेष कर आतंकवाद की काली छाया दक्षिण एशिया में काफी गहरी है।यह भी सच है कि आम तौर पर आतंकवाद का शिकार होने वालों में वह आम जन होते हैं,जिन का राजनीति से कोई लेना देना नहीं होता, बसों में ट्रेन में,भीड़भाड़ वाली जगहों पर बाजार में होटल में जब बम विस्फोट होते हैं तो मरने वालों में आम जन ही होते हैं।आतंकवाद और इसके अन्य पहलुओं को समझने के लिये हम ने भारत के दिल्ली में इगनों में कार्यरत प्रोफेसर व इतिहासकार सलिल मिश्रा से बात की।
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सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
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श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
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