शीत महल
"शीत महल"को जानने के लिए सर्वप्रथम"सान कुंग ल्यो य्वान"( तीन अंतःपुर व छह रानी महल ) की चर्चा करनी ज़रूरी है। पुराने शाही प्रासाद के मध्य अक्ष-रेखा पर आबाद छ्यानछिंग महल,चौथ्ये महल और खुननिन महल को"सान कुंग"( तीन अंतः पुर ) कहा जाता था। पूर्वी व पश्चिमी छह रानी महल को"ल्यो य्वान"कहा जाता था। सामंती समाज में सम्राट की सर्वोपरि सत्ता होती थी और वे मनमाने रूप से रानी चुन सकते थे। यदि राज महल में चुनी गयी कोई स्त्री सम्राट का प्यार खो गयी, तो उसे दंड महल में मृत्यु का इन्तज़ार करना पड़ता था। उस की हालत अत्यन्त शोचनीय पड़ती थी। शाही प्रासाद में सम्राट से प्यार वंचित रानियों व राजकुमारों को नजरबंद करने वाले मकान को"शीत महल"कहलाता था। शाही प्रासाद में शीत महल का कोई निश्चित स्थल नहीं था। मिंग व छिंग राजवंशों की तमाम लिखित ऐतिहासिक सामग्रियों की छानबीन के बाद पता चला है कि शीत महल किसी भी एक महल का औपचारिक नाम नहीं था। कुछ ऐतिहासिक साहित्य के रिकोर्ड के अनुसार मिंग व छिंग राजवंशों में कई स्थल"शीत महल"के लिए चुने गये थे।