तीन प्रमुख भवनों में पेड़ नहीं था
थाइ ह महल, चुंग ह महल व पाओ ह महल बाहरी भवन भाग के तीन प्रमुख महल थे, जिनमें सम्राट दरबारी सभा व भव्य रस्मों का आयोजन करता था। स्थान के तौर पर ये तीन महल पूरे बाहरी भवन भाग का केंद्र था और समूचे पेइचिंग शहर का केंद्र भी। इन तीनों महलों की महानता व शान-शौकत दिखाने के लिए अनेक उपाय अपनाए गए थे। जिनमें से एक था कि सभी आंगनों में एक भी पेड़ नहीं लगाया जाता था। शाही प्रासाद के दक्षिणी अग्रद्वार थ्येन आन मन से द्वेनमन द्वार, वुमन द्वार और थाई ह द्वार तक तमाम आंगनों में एक पेड़ भी नहीं उगाया गया था(अब जो पेड़ द्वेनमन द्वार के आगे पीछे उगते हैं, वे शिनहाई क्रांति( वर्ष 1911 क्रांति के बाद रोपे गए हैं)। सामंती समाज के समय, यदि लोग सम्राट से भेंट मुलाकात करना चाहते थे, तो उन्हें थ्येन आन मन द्वार में प्रवेश करने के बाद लम्बे राज पथ से गुजरना पड़ना था। ऊंची बढ़ती इमारतों के बीच चलते गुजरते समय लोगों को निरंतर बढ़ता हुआ अमूर्त भारी मानसिक दबाव महसूस होता था। अंत में थाई ह द्वार से अन्दर प्रवेश करने के बाद सामने खुला विशाल चौक और तीन मंजिले ऊंचे शिलाधार पर शान से खड़े भव्य भवन दिखाई देता था, तो लोगों पर पड़ा मानसिक दबाव चरम सीमा तक पहुंच जाता था। खुले विशाल चौक में नीले आसमान तले तीन प्रमुख भवन और अधिक ऊंचा व आलीशान नजर आता था। ऐसा ही माहौल और प्रभाव सम्राट चाहते थे। यदि इन आंगनों में पेड़ उगाए जाते और हरियाली में पक्षियों की चहक सुनायी देती, तो दरबार के गंभीर वातावरण को बर्बाद किया जाता था।
शाही प्रासाद के तीन प्रमुख भवनों में पेड़ नहीं होने का दूसरा कारण था कि प्राचीन चीनी दर्शन शास्त्र के पांच तत्व (धातु, लकड़ी, पानी, आग और पृथ्वी) के सिद्धांत के अनुसार प्राचीन चीन के सम्राट"थू"(पृथ्वी) तत्व के तहत होते थे,"मू"(लकड़ी)"थू"(पृथ्वी) के खिलाफ होता था, इसलिए शाही प्रासाद के मुख्य आंगन में"मू" (लकड़ी यानी पेड़) नहीं लगाया जाता था, ताकि परस्पर खिलाफात से बच जाए। थाई ह महल, चुंग ह महल और पाओ ह महल के शिलाधार भी मिलकर उत्तर से दक्षिण तक फैलने वाले चीनी रेखाक्षर"थू"की आकृति में बनाये गए थे।
इस का तीसरा कारण था कि हत्यारे को गुप्त रूप से भीतर घुसने और पेड़ों में छिप कर सम्राट व मंत्रियों की हत्या करने से रोका जाने के लिए भी पेड़ नहीं लगाया जाता था।