पेइचिंग शहर के केंद्र में स्थित पुराने शाही प्रासाद का पुराना नाम था"लाल निषिद्ध नगर", जो आज संग्रहालय के रूप में खुला है। पेइचिंग के पुराने शाही प्रासाद का निर्माण मिंग राजवंश के योंग ल काल के 18वें वर्ष(सन् 1420) में किया गया था। कुल 24 सम्राटों ने इसे दरबार बनाया था, वह मिंग व छिंग राजवंशों का राज महल था और प्राचीन चीन के अतूल्य वास्तु निर्माण के अनुपम उदाहरण है। वह विश्व में अब तक सुरक्षित सब से बड़ा और सब से अच्छा लकड़ी का प्राचीन राजमहल समूह है।
पुराना शाही प्रासाद विश्व का सब से बड़ा प्राचीन राजमहल समूह है, जिस का कुल क्षेत्रफल 7.2 लाख वर्गमीटर है। पूर्व से पश्चिम तक उसकी चौड़ाई 750 मीटर है और दक्षिण से उत्तर तक लम्बाई 960 मीटर। समूचा वास्तु निर्माण"तीन मुख्य भवन"और"तीन अंतःपुर महल"से गठित है। पूरा प्रासाद चारों ओर से ऊंची चारदीवारी और थोंग ज़ नहर से घिरा हुआ है। चारदीवारी के चार कोनों में चार बुर्ज हैं और चार दिशाओं में चार द्वार हैं। दक्षिण दिशा का द्वार मध्याह्न द्वार कहलाता है जो पुराने शाही प्रासाद का मुख्य अग्र द्वार है। कहा जाता था कि स्वर्ग लोक में जेड सम्राट महल के 10000 कमरे थे, धरती पर सम्राट के महल उससे ज्यादा नहीं होने थे, इसलिए पुराने शाही प्रासाद में साढ़े 9999 कमरों का निर्माण करवाया गया। आज की गिनती के मुताबिक शाही प्रासाद में कमरों की असली संख्या 8704 है।
पुराना शाही प्रासाद विश्व के पांच बड़े प्रासादों में से एक माना जाता है (पेइचिंग का पुराना शाही प्रासाद , फ़्रांस का वेर्सेइलस पैलेस, ब्रिटिश बकिंघम पैलेस, अमेरिकी व्हाइट हाउस, रूसी क्रेमलिन महल) और युनेस्को द्वारा"विश्व सांस्कृतिक विरासतों"की सूची में शामिल किया गया है। युनेस्को की कमेटी ने पुराने शाही प्रासाद का इस तरह मूल्यांकन किया कि लाल निषिद्ध नगर चीन में 5 शताब्दियों से ज़्यादा समय में सर्वोच्च राजसत्ता केंद्र था। वह उद्यान के दृश्यों और फर्निचरों व कलाकृतियों से भरे 9000 मकानों से गठित शानदार वास्तु समूह है, जो मिंग व छिंग राजकालों में चीन की सभ्यता का अमोल ऐतिहासिक साक्षी है।