पुराने शाही प्रासाद का मुख्य ढांचा
पेइचिंग का पुराना शाही प्रासाद चीन की हान जाति के वास्तु निर्माण का अनुपम उदाहरण है। मिंग राजवंश में इस का निर्माण हुआ और छिंग राजवंश में मिंग की वास्तुकला के आधार पर उस का विस्तार तथा विकास किया गया था।
पुराने शाही प्रासाद का निर्माण सन् 1406 में शुरू हुआ था और सन् 1420 में बुनियादी तौर पर पूरा हो गया। वह मिंग राजवंश के सम्राट जु ती की आज्ञा पर निर्मित किया गया था। पुराने शाही प्रासाद में वास्तु का कुल फर्शी क्षेत्रफल 155 हजार वर्गमीटर है। पूर्व से पश्चिम तक उसकी चौड़ाई 750 मीटर और दक्षिण से उत्तर तक लम्बाई 960 मीटर है।
पुराने शाही प्रासाद के चार द्वार हैं। दक्षिण में अग्र द्वार का नाम है मध्याह्न द्वार, पूर्व में तुंगह्वामन द्वार, पश्चिम में शिह्वामन द्वार और उत्तर में शनऊ द्वार। शनऊ द्वार के सामने मिट्टी व पत्थरों से खड़ा किया गया चिंगशान पहाड़ है जिस पर चीड़ व सरू के पेड़ों का जंगल है। रिपब्लिक आफ़ चाइना के समय इसे चिंगशान पार्क में बदला गया। समग्र विन्यास की दृष्टि से चिंगशान शाही प्रासाद की कृत्रिम रक्षा पट्टी कहा जा सकता है।
पुराना शाही प्रासाद मध्य में दक्षिण से उत्तर की दिशा में फैली अक्ष-रेखा के दोनों ओर सममित निर्मित भवनों का समूह है। तीन प्रमुख भवन तथा तीन अंतःपुर महल और शाही उद्यान बीच की अक्ष-रेखा पर सीध में खड़े हैं और दोनों तरफ के महल सममिति में फैले हैं। न केवल लाल निषिद्ध नगर में यह मध्य अक्ष-रेखा मौजूद है, बल्कि पूरा पेइचिंग नगर इसी मध्य अक्ष-रेखा पर निर्मित है, यह अक्ष-रेखा दक्षिण में योंग तिंग द्वार और उत्तर में ढोल टावर व घंटा टावर तक पहुंचती है। जो काल्पनिक तौर पर पूरे पेइचिंग शहर को आर पार करती है। इस प्रकार के विन्यास से पेइचिंग अत्याधिक महान, भव्य व आलीशान तथा सुनियोजित लगता है।