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    रेशम मार्ग
    2014-11-24 10:29:18 cri

    मिंग व छिंग राजकाल (ईस्वी 1368---ईस्वी 1911)

    मिंग राजवंश की शुरूआत में चायुक्वान दर्रे के बाहर स्थित पश्चिमी क्षेत्र विभाजन की स्थिति में था। मिंग राजवंश की सेना को विवश होकर चायुक्वान दर्रे तक हटना पड़ा। लेकिन नागरिक व्यापार पहले की ही तरह चलता रहा था। इस के अलावा, कंपास के व्यापक इस्तेमाल और उच्च जहाज निर्माण तकनीक से मिंग राजकाल में समुद्री यातायात बहुत विकसित हो गयी। प्रसिद्ध ज़ङ ह की पश्चिम सागर यात्रा इस के प्रतिनिधित्व वाली घटना थी। इस के साथ समुद्री मार्ग से चीन आने वाले पश्चिमी पादरियों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती गयी थी। उन्होंने पश्चिमी सभ्यता लाने के साथ पश्चिमी देशों को चीन की संस्कृति का परिचय भी कराया था। चीन व पश्चिमी देशों का संबंध इससे एक नए युग में प्रवेश कर गया।

    छिंग राजवंश में विश्वव्यापी समुद्र यात्राएं बहुत विकसित हुईं, जिस के प्रभाव में विश्व की परिस्थिति प्राचीन काल से बेहद भिन्न हो गयी थी। छिंग राजवंश के प्रारंभिक काल में परिस्थिति मिंग राजकाल के ढर्रे पर चलती थी। मुख्यतः पश्चिमी पादरी के अतिरिक्त कुछ विदेशी दूत भी चीन की यात्रा पर आते रहते थे। रेशम मार्ग भी मुख्य तौर पर समुद्री मार्ग से होता था। चीन विदेशों के लिए चतुर्मुखी रूप से खुला था। उत्तर पश्चिम दिशा में शिनच्यांग व रूस के बीच व्यापार बहुत विकसित था। चीन का समुद्र तटीय क्षेत्र लगातार विदेशों के लिए खुला था। चीन व विश्व के बीच आवाजाही विभिन्न रूपों व स्तरों पर चल रही थी।

    छिंग के अंतिम काल से रिपब्लिक आफ़ चाइना काल तक चीन बाहरी आक्रमण और घरेलू राजनीतिक अस्तव्यस्तता से ग्रस्त रहता था। लेकिन सामाजिक डांवांडोल होने के बावजूद चीन व विदेशों के बीच आवाजाही कभी भी बंद नहीं हुई थी। समुद्री जहाजरानी और हवाई उड़ान के विकास के कारण पारंपरिक रेशम मार्ग इतिहास की चीज बन गया। लेकिन रेशम मार्ग से प्रतिबिंबित खुलेपन व आदान प्रदान की भावना अभी भी बनी रही है।

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