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    रेशम मार्ग
    2014-11-24 10:29:18 cri

    स्वेई व थांग राजकाल (ईस्वी 581—ईस्वी 907)

    स्वेई व थांग राजवंशों में चीन ने दीर्घकालीन राजनीतिक विभाजन की स्थिति को खत्म किया। चीन की शक्ति अभूतपूर्व रूप से मजबूत हो गयी। अंतर्राष्ट्रीय संपर्क को मज़बूत करना और रेशम मार्ग को सुगम बनाए रखना न केवल शासन वर्ग की सहमति थी, बल्कि तदनुरूप व्यवस्था की गारंटी की आवश्यक्ता भी।

    समृद्ध थांग राजवंश में उत्तर पश्चिम के रेशम मार्ग पर चीनी शासकों का ध्यान फिर एक बार गया। इस व्यापार मार्ग को पुनः खोलने के लिए चीन सरकार ने तुर्क पर हमला बोलने के साथ साथ पश्चिमी क्षेत्रों के विभिन्न राज्यों पर कब्जा कर लिया और आन शी चार नगरों की स्थापना भी की। ये चार नगर चीन सरकार द्वारा पश्चिमी क्षेत्रों पर नियंत्रण कर रखने वाले संस्थान थे। चीन सरकार ने यू मन दर्रे का पुनःनिर्माण किया और रास्ते में स्थित विभिन्न दर्रों को पुनः खोला। थ्येन शान पहाड़ के उत्तर में गुजरने वाला शाखा रेशम मार्ग सुगम कर दिया गया और इस तरह रेशम मार्ग पश्चिम की दिशा में मध्य एशिया तक पहुंचता था। हान राजवंश से भिन्न थांग राजवंश ने रेशम मार्ग के पश्चिमी क्षेत्रों और मध्य एशिया के कुछ स्थलों पर नियंत्रण कर रखा था और वहां सुस्थिर व कारगर शासन व्यवस्था की स्थापना भी की थी। पश्चिमी क्षेत्रों में अनेकों छोटे छोटे राज्य होने का इतिहास बुनियादी तौर पर खत्म हुआ। इससे रेशम मार्ग और सुगम हो गया।

    अरब के व्यापारी ही नहीं, भारत भी रेशम मार्ग के पूर्वी भाग का महत्वपू्र्ण तत्व बन गया। रेशम मार्ग पर आने जाने वाले लोग अब पहले की तरह केवल व्यापारी या सैनिक नहीं रहे, धार्मिक आस्था की खोज करने वाले लोग और सांस्कृतिक आदान प्रदान करने वाले लोग भी देखने को मिलने लगे थे। चीन की अनेक उन्नत तकनीकें विभिन्न तरीकों से अन्य देशों में पहुंचीं। चीन ने बड़ी संख्या में विदेशी दूतों व छात्रों को स्वीकार कर लिया, उन्हें चीनी संस्कृति सीखने का मौका दिलाया।

    थांग राजवंश के शासक चीनी व विदेशी संस्कृतियों के आदान प्रदान को प्रोत्साहन देते थे। इसलिए थांग राजकाल के साहित्य व कला में विदेशों से आने वाले बहुतसे विषय भी शामिल थे। विदेशों से आये अनेकों प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अहम पद दिया जाता था। थांग राजवंश की राजधानी छांग आन(आज का शी आन) में विभिन्न देशों से आए विद्यार्थी, भिक्षु, व्यापारी और दूत रहते थे, जिससे छांग आन शहर विश्व का सांस्कृतिक प्रदर्शन केंद्र बन गया। इन सब को रेशम मार्ग के समृद्ध व रौनक होने की उपलब्धि कही जा सकती थी।

    आन लुशान व शी समिंग विद्रोह के बाद थांग राजवंश का ह्रास होने लगा। तिब्बत के थू बो राज्य ने ख्वुन ल्वुन पहाड़ को पार करके उत्तर की ओर अभियान किया और पश्चिमी क्षेत्रों के अधिकांश भागों पर कब्जा कर लिया। चीन के उत्तरी भाग में युद्ध बन्द होने का नाम भी नहीं लेता था, इससे रेशमी कपड़ों व चीनी मिट्टी बर्तनों के उत्पादन में निरंतर गिरावट आती रही। व्यापारियों ने भी सुरक्षा का ख्याल करके दूर की यात्रा नहीं करना चाहा। थांग राजवंश के बाद चीन में आर्थिक केंद्र धीरे धीरे दक्षिण की ओर स्थानांतरित होने लगा। अपेक्षाकृत सुस्थिर दक्षिण चीन में विदेश व्यापार में स्पष्ट इज़ाफ़ा हुआ, जिससे दक्षिणी रेशम मार्ग और समुद्र पर रेशम मार्ग विकसित हो गए। नतीजातः छङ तू व छ्वुन चाओ दक्षिण के बड़े आर्थिक शहर बने।

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