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    रेशम मार्ग
    2014-11-24 10:29:18 cri

    परम्परागत रेशम मार्ग का विकास व समृद्धि

    पश्चिमी हान व पूर्वी हान राजकाल (ईसा पूर्व 202---ईस्वी 220)

    पश्चिमी हान व पूर्वी हान राजकालों में रेशम मार्ग अभी अभी खुला हुआ था, रास्ते में बसे विभिन्न राष्ट्र व राज्य सक्रिय रूप से व्यापार में भाग लेते थे और रेशम मार्ग के इतिहास में प्रथम समृद्धि काल आया। पूर्वी हान राजवंश के राजदूत बेन छाओ के उप दूत गान यींग ने ईस्वी 97 में औपचारिक रूप से ता छिन (पूर्वी रोमन साम्राज्य) का दौरा किया और वह भूमध्यसागर के पूर्वी तट पर पहुंचा। हालांकि इस बार की यात्रा विफल हुई, फिर भी रेशम मार्ग के बेरोकटोक होने को साबित करने वाला कांड बन गयी। इस के साथ बौद्ध धर्म भी रेशम मार्ग से चीन आया। रेशम मार्ग का खुलना और बौद्ध धर्म के चीन में आना इस ऐतिहासिक काल में रेशम मार्ग की महत्वपूर्ण घटनाएं थीं।

    लेकिन पूर्वी हान राजकाल में प्रवेश करने के बाद चीन में भीतरी गड़बड़ी बढ़ती गयी। सम्राट हान आई ती के बाद के शासकों ने पश्चिमी क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण त्याग दिया, जिससे पश्चिमी क्षेत्रों में भीतरी मुठभेड़ें लगातार भड़कीं। छे शी और हूण के बीच वर्षों से चली जा रही लड़ाइयों से तकलमाकन रेगिस्तान को पार करने वाले व्यापारिक मार्ग को दुर्गम बनाया गया। तत्कालीन चीन सरकार पश्चिमी क्षेत्रों के उपद्रवों को अपने देश में बढ़ने और फैलने से रोकने के लिए अक्सर यू मन दर्रे को बंद कर देती थी, जिससे रेशम मार्ग के पूर्वी भाग यानी थ्येन शान पहाड़ के उत्तर में गुजरने वाले दक्षिणी मार्ग पर यातायात कभी खुला और कभी बंद होने की हालत में पड़ी थी।

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