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    रेशम मार्ग
    2014-11-24 10:29:18 cri

    रेशम मार्ग खुलना

    अनेक लोगों की कल्पना से भिन्न है कि रेशम मार्ग के खुलने से पहले कल्पनातीत प्राकृतिक बाधाएं होने के बावजूद यूरोप व एशिया के बीच पृथक्क नहीं था। नील नदी के घाटी क्षेत्र, फरात और तिगरी नदियों के घाटी क्षेत्र, सिंधु नदी के घाटी क्षेत्र और पीली नदी के घाटी क्षेत्र के उत्तर में घास मैदान पर अनेक छोटे छोटे व्यापार मार्गों से जुड़ा एक रास्ता मौजूद था। व्यापारियों को ऊंचे ऊंचे पर्वतों पर चढ़ना और बड़ी बड़ी नदियों को पार करना पड़ता था। लम्बे दुर्गम रास्ते में सुरक्षा की गारंटी का अभाव था और रास्ता बहुत दूर और मुसिबतों से भरा था, जिससे आवागमन अत्यन्त कठिन था। और तो और मरूभूमि को पार करने वाले वे मार्ग कुछ जातियों या देशों के बीच मुठभेड़ या युद्ध छिड़ने की वजह से अकसर बंद होते थे, इसलिए विकसित और सुगम नहीं बन जाता था। किन्तु यह मार्ग वास्तव में रेशम मार्ग का प्रारंभिक रूप था।

    पश्चिमी हान राजवंश(ईसा पूर्व 202---ईस्वी 9)में चीन का अर्थतंत्र समृद्ध हो गया था और चीन एक महान युग में प्रविष्ट होने लगा। लेकिन हान राजवंश के उत्तरी भाग में हूण जाति का अतिक्रमण हुआ करता था। हूण हमेशा हान जाति के दुश्मन बने रहे। हूण की शक्ति व कुआकांक्षा दिन ब दिन बढ़ती गयी और वे लगातार हान राजवंश के उत्तरी सीमांग क्षेत्र में हमले करते रहते थे और भूमि हड़पते रहते थे। ईसा पूर्व 209 यानी हान राजवंश की स्थापना के पहले तीन सालों में एक नयी हूण सत्ता की स्थापना हुई और वह शक्तिशाली व एकीकृत राष्ट्र बन गया। सम्राट हान वू ती के शासनकाल में पश्चिमी क्षेत्र में कुल 36 छोटे छोटे राज्य थे। बाद में इन छोटे राज्यों को हूण द्वारा वशीभूत कर दिया गया। हूण की शक्ति के बढ़ जाने के बाद वह पश्चिमी हान राजवंश के किए प्रत्यक्ष खतरा बन गया था। पश्चिमी क्षेत्रों पर हूण के कब्जा होने की वजह से हान राजवंश के लिए पश्चिम की ओर जाने वाला रास्ता अवरुद्ध हो गया था। लेकिन पश्चिमी हान राजवंश के शुरूआती काल में आर्थिक बहाली की नीति लागू होने के परिणामस्वरूप सम्राट हान वू ती के शासन काल तक हान राजवंश शक्तिशाली व समृद्ध बना। सम्राट हान वू ती ने उत्तर में हूण के साथ विवाह का संबंध कायम करने के जरिए शांति बनाए रखने की नीति को छोड़कर हूण के खिलाफ युद्ध करने का निर्णय लिया, ताकि लम्बे अरसे से हान राजवंश पर हूण के हावी होने की स्थिति समाप्त की जाए।

    ईसा पूर्व 138 में सम्राट हान वू ती ने अपने एक मंत्री चांग छ्यान को पश्चिमी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए भेजा, उस का राजनयिक मिशन था ता यो जि( इंदोसाइद) जाति के साथ सहयोग कर दोनों तरफ़ से हूण पर धावा बोलने की संभावना खोजना। चांग छ्यान 100 से अधिक सदस्यों का एक दल लेकर छांग आन से रवाना हुए। लेकिन आज के कानसू प्रांत के ह शी गलियारे में प्रवेश करने के तुरंत बाद उसे हूण द्वारा पकड़ा गया और दस से ज्यादा सालों तक नज़रबंद किया गया। बाद में चांग छ्यान हूण के शिकंजे से भाग निकलने में सफल हुआ और असंख्य कठिनाइयों को दूर करके पश्चिमी क्षेत्र पहुंचा। वह क्रमशः ता य्वान राज्य, ता यो जि और ताश्या (बाकत्रिया) पहुंचा था। ईसा पूर्व 126 में चांग छ्यान आखिरकार छांग आन वापस लौटा। ऐतिहासिक पुस्तक में चांग छ्यान की प्रथम पश्चिम यात्रा को अभूतपूर्व साहसिक गतिविधि मानी जाती है। यह इतिहास में चीन सरकार द्वारा पश्चिमी क्षेत्रों को भेजा गया प्रथम मिशन दल था।

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