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    रेशम मार्ग
    2014-11-24 10:29:18 cri

    रेशम मार्ग का संक्षिप्त परिचय

    रेशम मार्ग प्राचीन चीन के राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक केंद्र को एशिया, अफ़्रीका व यूरोप के साथ जोड़ने वाला प्राचीन वाणिज्य व व्यापार मार्ग था। छांग आन या ल्वो यांग से आरंभ होकर वह ह शी गलियारे से गुजरकर, यू मन क्वुन व त्वुन ह्वांग के पुरातन यांग क्वुन को पार करके पश्चिम की ओर शिनच्यांग तक पहुंचा। फिर नख्लिस्तान एवं पामीर पठार से होकर मध्य एशिया, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ़्रीका के रास्ते से अफ़्रीका व यूरोप तक समाप्त होता था।

    रेशम चीन के बेशुमार उत्पादों में से एक है, लेकिन पश्चिमी देशों में उसे रहस्यमय प्राचीन पूर्व के देश का सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता था। यूरोप व एशिया को जोड़ने वाले इस मार्ग के जरिए सुन्दर चीनी रेशमी कपड़े लगातार यूरोपीय व पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात किए जा रहे थे। इसलिए ग्रीस व रोमन के लोगों ने चीन को सेरिस देश की संज्ञा दी थी और चीनी लोग सेरिसवासी से संबोधित किए जाते थे। "सेरिस"का अर्थ है"रेशम"19वीं शताब्दी के अंत में जर्मनी के भूगोल वैज्ञानिक फ़ेर्डिनान्द वॉन रिच्थोफ़न ने चांग छ्यान की यात्रा से खुले इस पूर्व से पश्चिम तक फैलने वाले मार्ग को"रेशम मार्ग"का नाम दिया।

    वास्तव में रेशम मार्ग प्राचीन काल से एशिया, अफ़्रीका व यूरोप को जोड़ने वाले पूर्व से पश्चिम तक जाने वाले मार्गों का सामूहिक संबोधन है। वह न केवल विश्व में सब से लम्बा व्यापारिक मार्ग था, बल्कि पूर्व व पश्चिम के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का मार्ग और मानव जाति के स्थानांतरण का रास्ता भी था।

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