सैन्य चिकित्सक होने के नाते चरवाहों के घर जाकर उनका इलाज करना फङ यान का एक अहम काम है।विशाल क्षेत्रफल के बावजूद नाग्जू में आबादी बहुत कम है ।इसके साथ ही दूसरे स्थानों की अपेक्षा यहां के निवासी अधिक आसानी से पाचन तंत्र के रोग और समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन के कारण होने वाली बीमारी से पीड़ित रहते हैं। इन 12 सालों में उन्होंने 25 हज़ार लोगों का जगह-जगह घूम कर इलाज किया है।इस तरह उन्होंने कुल मिलाकर 20 हज़ार से ज़्यादा किलोमीटर की यात्रा की है।वे नाग्जू में चरवाहों के सभी समुदायों तक पहुंची हैं। फङ यान का मानना है कि महिलाओं को स्थानीय लोगों से अधिक संपर्क रखना चाहिये। फङ यान ने कहा:
"मेरे ख्याल से महिलाएं ज़्यादा आसानी से लोगों से संपर्क रख सकती हैं।जब मैं चरवाहों के इलाके में जाती हूं, वृद्ध लोग मुझे पूमो कहते हैं।तिब्बती भाषा में पूमो का मतलब है बेटी।मुझे बहुत अच्छा लगता है।"
नाग्जू में साक्षात्कार के दौरान हमारे संवाददाता फङ यान के साथ तिब्बती चरवाहों के समुदाय में गए।फङ यान को देखते ही चरवाहे लोग बड़ी प्रसन्नता के साथ उनसे मिलने के लिये घरों से बाहर निकल आते हैं।उनमें से एक चरवाहे ने हमें बताया:
"डॉक्टर फन अक्सर हमें देखने आती हैं।वे हमारा इलाज करती हैं और हमें दवाईयां भी देती हैं।हम उनके आभारी हैं।"
पलक झपकते ही फङ यान को तिब्बती लोगों ने मंगलसूचक सफ़ेद हादा पहना दिया गये।फङ यान ने कहा:
"पिछली बार मैं लापरवाही के कारण बीमार पड़ गई।वे मुझे देखने आये थे।इसके बाद मैं उनका इलाज करने आयी थी, मुझे देख कर वे मेरी तबीयत के बारे में बड़े चिंतित हुए और मुझसे पूछा कि क्या मैं स्वस्थ हो गयी हूं।ये बातें सुनकर मैंने अपनापन महसूस किया।"