थूतङ डोर्चे का घर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में स्थित है। वर्ष 2002 से ही उसने मध्य चीन के हनान प्रांत की राजधानी चङचो शहर में रेलगाड़ी चलाना सीखना शुरू किया था। पांच वर्ष बाद उसने परीक्षा पास कर छिंगहाई-तिब्बत रेल कंपनी में काम शुरु किया। अब वह रेलगाड़ी के उप-चालक हैं। छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग जटिल प्राकृतिक क्षेत्रों से गुज़रता है, जहां की जलवायु भी विषम है। इस तरह एक प्रमाणित रेलगाड़ी चालक बनने के लिए लम्बे समय का प्रशिक्षण और परीक्षण चाहिए। थूतङ डोर्चे ने इसके लिए अथक प्रयास किया था। छिंगहाई तिब्बत रेल कंपनी के शीनिंग विभाग के संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति यो छीयुआन ने परिचय देते हुए कहा:
"हमारी कंपनी में दाखिल हुए नए कर्मचारियों को तीन चरणों का प्रशिक्षण लेना चाहिए। इसके बाद उन्हें एक वर्ष तक अभ्यास करना चाहिए। फिर उप-रेलगाड़ी चालक से प्रमाणित चालक बनने में तीन वर्ष लगते हैं। इसके बाद व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार संबंधित प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के लिए परिक्षा होती है। अगर अभ्यास के दौरान कोई भी दुर्घटना नहीं हुई और 60 हज़ार किलोमीटर की दूरी वाली रेलगाड़ी चलाई, तो वह प्रमाणित रेलगाड़ी चालक परीक्षा ले सकता है। इस तरह हमारी कंपनी में दाखिल होने से एक प्रमाणित रेलगाड़ी चालक बनने तक कम से कम चार साल चाहिए।"
इस वर्ष थूतङ डोर्चे रेल-गाड़ी चालक परीक्षा दे सकता है। शीघ्र ही वह एक प्रमाणित रेलगाड़ी चालक बनकर अपना सपना साकार कर सकेगा। घर से हज़ार किलोमीटर दूर स्थित चङचो शहर में रेलगाड़ी चलाने की तकनीक सीखने से रेलगाड़ी चलाकर घर वापस लौटने तक थूतङ डोर्चे को लगता है कि उसके और जन्म स्थान के बीच की दूरी दिन ब दिन कम हो रही है।
थूतङ डोर्चे ने कहा कि छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग न होने के समय मध्य चीन स्थित चङचो शहर से ल्हासा तक का रास्ता बहुत-बहुत दूर लगता था, जन्मस्थान वापस लौटते समय रास्ता बहुत दुष्कर था। इसकी याद करते हुए थूतङ डोर्चे ने कहा:
"पहले एक बार घर वापस लौटना बहुत मुश्किल था। यह सच है। उस जमाने में घर वापस लौटने के लिए कई दिन लगते थे। मुझे कॉलेज से रेलगाड़ी से स्छ्वान प्रांत की राजधानी छङतु तक जाना था, फिर छङतु से बस पकड़कर ल्हासा तक। पहले मार्गों की स्थिति भी अच्छी नहीं थी, एकबार मैंने सात दिनों और सात रातों तक यात्रा की तब जाकर घर वापस लौटा। हाल के कुछ वर्षों में देश ने धीरे-धीरे राजमार्गों को अच्छे से अच्छा बनाया जिससे घर वापसी के लिए बस से मात्र तीन दिन लगते हैं। मुझे याद है कि कॉलेज में तीसरे वर्ष की पढ़ाई करने के वक्त छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग का यातायात शुरू हुआ था। मैं रेल टिकट खरीद कर चङचो शहर से ल्हासा तक वापस लौट सकता हूँ। रेलगाड़ी से सीधे घर वापस लौटना बहुत खुशी की बात है।"