《ल्हासा में वापसी》नाम के गीत के बोल कुछ इस प्रकार हैं ...
वापस लौट रहा हूँ पोटाला महल की ओर
यालुचांगबू नदी के पानी
धोते हैं मेरा दिल
बर्फीले पहाड़ों की चोटी है
मेरी आत्मा का आह्वान
थांगकुला पर्वत पर देखा है
पवित्र बर्फीले कमल के फूल को
हाथ से हाथ मिलाकर हम
वापस लौट रहे हैं अपने घर
अविस्वमरणीय है लामा मंदिर
हंसने की आवाज़ आती है
सुन्दर युवकों की तरह
नाच रहे हैं हम
थकान नहीं लगती
यह है मेरा घर
आओ, वापस आओ
ल्हासा में वापस आओ
यहां है हमारा घर
लम्बे समय तक रहे यहां से दूर
मित्रों, रेलगाड़ी की सीटी की आवाज़ के चलते तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के युवक थूतङ डोर्चे और अपने गुरु लाकाओ छाईरांग ने एक बार फिर माल भरे रेलगाड़ी चलाने की यात्रा शुरू की है। इलेक्ट्रॉनिक प्रश्नों का उत्तर देने, अंगुली की छाप लगाने, मदिरा परीक्षण किए जाने, उपकरणों को लेने और रेलगाड़ी की जांच करने जैसे काम करने के बाद चार घंटे लगे। सभी तैयारियां हो जाने के बाद वे रेलगाड़ी चलाकर धीरे-धीरे छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के शुरूआती स्टेशन यानी छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग से रवाना होकर तिब्बत की ओर जाने लगे। थूतङ डोर्चे और लाकाओ छाईरांग छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन पर रेलगाड़ी चालक टीमों में एकमात्र तिब्बती चालक टीम के सदस्य हैं। इसबार वे एक हज़ार टन के माल को समुद्र सतह से 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हार्गेई स्टेशन तक पहुंचाएंगे।
छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पश्चिमी चीन स्थित छिंगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश से गुज़रता है, जिसकी कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है, जिसे विश्व भर में समुद्र सतह से सबसे ऊंचा और लम्बा पठारीय रेलमार्ग माना जाता है। वर्ष 2006 की जुलाई में इस रेललाइन पर यातायात शुरू हुआ। तिब्बत में जाने वाली रेल गाड़ियों की विशेष मांग को पूरा करने के लिए छिंगहाई तिब्बत रेल कंपनी ने विभिन्न कार्य पदों में तिब्बती कर्मचारियों को शामिल कराया गया। 27 वर्षीय थूतङ डोर्चे उनमें से एक है। उसने कहा कि रेलगाड़ी चलाकर घर वापस लौटना अपना सपना था। उसका सपना पूरा होने वाला है।