Web  hindi.cri.cn
    क्या भारत को एक पट्टी एक मार्ग में भाग लेना चाहिए?
    2017-05-08 19:19:13 cri

    आज चीन और भारत नये दौर के वैश्विक औद्योगीकरण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और निर्माण का ज़ोरदार विकास करते हैं। एक पट्टी एक मार्ग के मुख्य विषयों में से एक उत्पादन ऊर्जा का सहयोग और तदनुरूप वित्तीय समर्थन है। हाल ही में चीन ने 10 से ज़्यादा देशों के साथ इस संदर्भ में सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किया है। चीन ने मध्य और पश्चिम एशिया के कुछ देशों के साथ कई निवेश कोषों की स्थापना की है। साथ ही चीनी बैंकों ने कुछ देशों में एक पट्टी एक मार्ग के बांड भी जारी किए, ताकि कुछ अहम परियोजनाओं पर वित्तीय मदद भी मिल सके।

    चीन के कारोबारों ने भी सक्रिय रूप से भारत के मेक इन इंडिया में पूंजी निवेश किया है और यह संख्या करीब 5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुकी है। यदि भारत एक पट्टी एक मार्ग में भाग लेता है, तो द्विपक्षीय पूंजी-निवेश और वित्तीय सहयोग को और आगे बढ़ाया जा सकेगा। भारत पक्ष में ध्यानाजनक व्यापार में प्रतिकुल संतुलन का हल भी किया जा सकेगा। भारत की मानसून परियोजना और स्पाइस रूट हैं, जो चीन के रेशम मार्ग से जोड़ सकते हैं।

    पिछले 3 वर्षों में एक पट्टी एक मार्ग का विश्व में बड़ा स्वागत किया गया है। ये चीन का आह्वान नहीं रहा, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय गतिविधि बन चुकी है। इस ढांचे में सहयोग के सिलसिलेवार नये प्लेटफ़ार्मों, फ़ार्मूला, कार्यक्रम और परियोजनाएं नजर आयी हैं।

    उदाहरण के लिए गत वर्ष चीन ने पश्चिमी चीन के लान चो से नेपाल के काठमांडू तक रेल-मार्ग अंतर्राष्ट्रीय माल परिवहन शुरू किया, जो सिर्फ़ 10 दिनों की ज़रूरत है, जिसका खर्चा समुद्री परिवहन से बराबर है। यदि भविष्य में भारत भी इसमें शामिल होता है, तो हम सब और स्पष्ट आर्थिक और सामाजिक लाभांश पा सकेंगे। चीन ने चीन-नेपाल-भारत आर्थिक कॉरिडोर और रिंग हिमाचल आर्थिक सहयोग पट्टी का निर्माण करने का विचार पेश किया है। आशा है कि भारत इसकी सक्रिय प्रतिक्रिया दे सकेगा।

    एक नया विचार होने के नाते एक पट्टी एक मार्ग अवश्य ही कई मुसीबतों और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चाहे पहले, अब और भविष्य में भारत हमेशा ही चीन का अहम सहयोगी साझेदार रहा है। चीन भारत के स्वतंत्र विदेशी विकल्प का सम्मान करता है और समानता और आपसी लाभ के आधार पर भारत के साथ विविधतापूर्ण सवालों पर चर्चा करना चाहता है। 2015 के मई माह में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यात्रा पर आए भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से कहा दोनों देश एक पट्टी एक मार्ग, एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक और भारत के लुक ईस्ट नीति पर संपर्क कर सकते हैं और आपसी लाभ और समान उदार वाले सहयोग फ़ार्मूला और साझा विकास की खोज कर सकते हैं। दोनों देश हाथ मिलाकर क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं। मौके पर भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि भारत और चीन दक्षिण एशियाई देशों को मदद दे रहे हैं। चीन ने एक पट्टी एक मार्ग का आह्वान प्रस्तुत किया, जबकि भारत भी दक्षिण एशियाई क्षेत्र के आपसी संपर्क के निर्माण को बड़ा महत्व देता है। भारत इस क्षेत्र में चीन के साथ सहयोग करना चाहता है। कुछ समय पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधान मंत्री मोदी ने दावोस मंच पर भाषण दिए। भूमंडलीकरण के बारे में उनके विचार मिलते जुलते हैं। उनके विचार में भूमंडलीकरण कभी नहीं रुकेगा। विभिन्न देशों को वैश्वीकरण के अनुकूल में गतिविधियां करनी चाहिए। व्यापार भित्ती का निर्माण करना अच्छा विकल्प नहीं है।

    ल्यू चिनसुंग ने अपने भाषण के अंत में कहा कि एक पट्टी एक मार्ग सिर्फ़ नेताओं का कार्य नहीं है, बल्कि कई आम आदमी भी इसमें भाग ले चुके हैं। भारत के सिक्किम प्रदेश के डाकतार टाकी 25 सालों में चीन-भारत सीमांत क्षेत्र के नथुला दर्रे आते जाते हैं और डाकों और पार्सलों का आदान प्रदान करते हैं। वे भी चीन-भारत मित्रता के दूत हैं। आशा है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय लोग चीन-भारत मित्रवत सहयोग में जुड़ेंगे।

     

     


    1 2 3 4 5 6 7 8
    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040