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    क्या भारत को एक पट्टी एक मार्ग में भाग लेना चाहिए?
    2017-05-08 19:19:13 cri

    चौथा, एक पट्टी एक मार्ग आसमान से नहीं गिरा, बल्कि वह लम्बे अरसे से सोच विचार करने के बाद बनायी गई एक महान योजना है, जो चीन ही नहीं, इससे जुड़े देशों के लिए लाभदायक होगा।

    रेशम मार्ग एशिया और यूरोप के देशों की समान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत है। पिछले बीसीयों सालों में संयुक्त राष्ट्र संघ, तुर्की, अमेरिका और जापान ने रेशम मार्ग से जुड़े क्षेत्रीय सहयोग के आह्वान पेश किए थे। लेकिन तब ये आह्वान सीमित रहे थे।

    यह तार्किक बात है कि चीन ने एक पट्टी एक मार्ग को रेशम मार्ग का नया नाम कार्ड बनाया है। शीत युद्ध के बाद एशिया और यूरोप में विविधतापूर्ण सहयोग की नयी प्रणालियों की स्थापना की गई। वहीं बड़े पैमाने वाले गहरे सहयोग करने की अपील तीव्र होने लगी। यूरोप और एशिया के समुद्र तटीय क्षेत्र अपेक्षाकृत समृद्ध हैं, जबकि भीतरी इलाकों में आर्थिक विकास पीछे रहा है। हम कैसे भीतरी इलाकों की श्रेष्ठताओं का प्रसार करके क्षेत्रीय आर्थिक विकास को संतुलित कर सकते हैं और बुनियादी तौर पर एशिया की गरीबी और उग्रवाद की समस्या का हल कर सकते हैं?नि:संदेह एक पट्टी एक मार्ग एक अच्छा प्रयास साबित होगा।

    एशिया में पूंजी निवेश की बड़ी मांग है, साथ ही बुनियादी संरनचाओं के निर्माण के लिए भारी अभाव भी है। हम सब जानते हैं कि यदि समृद्ध बनना चाहते हैं तो सड़कों का निर्माण ज़रूरी है। लेकिन 1.3 अरब वाली आबादी के चीन और भारत के बीच अभी भी रेल मार्ग मौजूद नहीं है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बने स्टिलवेलरोड कारगर भूमिका नहीं निभा सकता। दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और मध्य-एशिया के बीच रेल गाड़ियां भी नहीं हैं। चीन और भारत के बीच हर हफ्ते केवल 40 सीधी उड़ानें हैं, जो चीन और दक्षिण कोरिया के बीच 1000 उड़ानों से कम हैं। नयी दिल्ली इस्लामाबाद से दूर नहीं है, लेकिन थलीय कन्टेंनरों की फ़ीस मुम्बई से लंदन तक जाने की समुद्री जहाजरानी से महंगी है। एक पट्टी एक मार्ग के लागू होने से एशिया और यूरोप के भीतरी इलाकों में सहयोग और संपर्क अधिक मज़बूत होगा।

    चीन एक जिम्मेदार बड़ा देश है। अपने विकास के साथ चीन को पड़ोसी देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को और ज़्यादा सार्वजनिक उत्पादकों को देने के लिए सक्षम है। पिछले तीन वर्षों में एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े देशों में चीन का सीधा पूंजी निवेश 50 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा थी और जर्काता-बांडुंन हाई स्पीड रेलवे, हंगरी-सर्बिया रेल मार्ग, चीन-लाओस रेल मार्ग, चीन-म्यांमार तेल और गैस पाइप लाईन जैसी परियोजनाओं को शुरू किया गया।

    कुछ समय पहले ब्रिटेन के लंदन से एक रेल गाड़ी चीन के जच्यांग प्रांत के ई वू तक पहुंची, जिसे ई वू पहुंचने में 18 दिन लगे। 2016 में चीन और एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े देशों के बीच उत्पादों की व्यापार राशि करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंची, जो चीन के वैदेशिक व्यापार की कुल वृद्धि गति से तेज़ है। चीन ने 20 से ज्यादा देशों में 56 आर्थिक और व्यापारिक सहयोग क्षेत्रों की स्थापना की और कुल 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाई। इससे उन देशों के लिए करीब 1.8 लाख रोजगार के मौकों की रचना की गई।

    एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और रेशम मार्ग कोष के लिए चीन ने करीब 30 अरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाई है। साथ ही चीन ने ब्रिक्स नए विकास बैंक के लिए 41 अरब अमेरिकी डॉलर दिये हैं।

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