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रेशम मार्गः पुराने समय में चीन व पश्चिम के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का मुख्य रास्ता
2014-12-22 09:11:59 cri

विश्व को कन्फ़्यूशियस विचारधारा का योगदान

बौद्ध धर्म के चीन में आने व फैलने की प्रक्रिया में चीन की मूल संस्कृति व विचारधारा और कन्फ़्यूशियस विचारधारा भी रेशम मार्ग के जरिए प्रसारित हो गयी, जिन का तत्कालीन दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति पर कुछ न कुछ असर पड़ा था। विश्व में कन्फ़्यूशियस की विचारधारा क्रिश्चियन, बौद्ध धर्म व इस्लाम धर्म जैसी विश्वविख्यात है। मिंग राजवंश(ईस्वी 1368—1644) के मध्य काल से पहले चीन के आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक व शैक्षिक विकास का स्तर विश्व के अग्रिम स्थान पर रहता था, जिसने विश्व सभ्यता के विकास को बढ़ाया था। कन्फ़्यूशियस के प्रतिनिधित्व में कन्फ़्यूशियस संस्कृति बल प्रयोग व सरकारी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बिना भी दूर दूर विदेशों में प्रसारित हो गयी। यह परिणाम महान मानवीय भावना---मानवता, नैतिकता, मेलमिलाप, मध्य मार्ग सिद्धांत के भरोसे संभव है और आसपास के देशों में फैलकर व्यापक कन्फ़्यूशियस सांस्कृतिक वृत्त का रूप धारण किया गया है। इस से पूर्ण रूप से जाहिर हुआ है कि कन्फ़्यूशियस विचारधारा ने न केवल चीनी राष्ट्र की सभ्यता, बल्कि विश्व संस्कृति पर बड़ा प्रभाव डाला है। मिंग राजवंश के शुरूआती काल में कोरिया ने छङ च्वुन ग्वुन(प्राचीन कोरिया का उच्चशिक्षालय) की स्थापना की और वन म्याओ मंदिर में कन्फ़्यूशियस की पूजा करने का अनुष्ठान किया था, जिससे संस्कृति, विज्ञान व तकनीक के विकास और समाज की प्रगति को बढ़ावा मिला था। चीनी संस्कृति और पूर्व की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले कन्फ़्यूशियसवाद की सैद्धांतिक प्रणाली और वैचारिक चेतना में भौगोलिक सीमा व युग से उपर उठकर विश्व सभ्यता के विकास को यथार्थ आवश्यक्ता देने वाला अपना मूल्य व मोहन-शक्ति सार-गर्भित है।

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