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रेशम मार्गः पुराने समय में चीन व पश्चिम के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का मुख्य रास्ता
2014-12-22 09:11:59 cri

विश्व को चीन की विचारधारा व संस्कृति का योगदान

बौद्ध धर्म को चीन का योगदान

चीन द्वारा विदेशी संस्कृति का ग्रहण किए जाने के परिणामस्वरूप चीन की अपनी संस्कृति को विविधता मिली है, साथ ही विश्व की संस्कृति के विकास में योगदान भी दिया गया है। रेशम मार्ग के खुलने से पश्चिमी क्षेत्रों व दक्षिण एशिया के धर्म चीन में आए और फैले। पश्चिमी हान राजकाल (ईसा पूर्व 202—ईस्वी 9) के दौरान बौद्ध धर्म रेशम मार्ग से थ्येन शान पर्वत के दक्षिणी क्षेत्र और ह शी गलियारे में फैला। उस समय पश्चिमी क्षेत्रों व ह शी गलियारे के क्षेत्र में बहुतसे वरिष्ठ भिक्षु उपलब्ध थे। धार्मिक सूत्रों का अनुवाद करने का काम जोरों पर चला और मठों व गुफ़ाओं का निर्माण एक फ़ैशन बन गया। छ्यो ज़, काओ छांग, त्वुन ह्वांग व ल्यांग चाओ बौद्ध धर्म के मशहूर तीर्थ स्थल व प्रसार केंद्र बने। धर्म में प्रचुर विषय व चेतनाएं गर्भित हैं। खास तौर पर पूर्व में बौद्ध धर्म के आने से मध्य चीन की मूल संस्कृति को बड़ा झटका लगा। बौद्ध धर्म से मिलने के बाद प्राचीन चीनी संस्कृति में अपेक्षाकृत बड़े परिवर्तन आए थे। यह कहा जा सकता था कि बौद्ध धर्म रेशम मार्ग द्वारा चीन की संस्कृति को लाया गया सब से अहम उपहार था। चीनी संस्कृति व चीनी लोगों की मानसिकता बौद्ध धर्म से व्यापक व गहरी प्रभावित हुई। साथ ही चीन ने विश्व बौद्ध धर्म के लिए विशेष योगदान भी किया। कारण यह है कि अपने जन्म स्थल में बौद्ध धर्म लुप्त हुआ था। चीन में बड़ी संख्या में बौद्ध सूत्रों के अनुवाद के फलस्वरूप बौद्ध धर्म के ढेर सारे ग्रंथ सुरक्षित बरकरार रखे गये हैं। इस के अलावा, बौद्ध धर्म चीन के जरिए जापान व कोरिया आदि सुदूर व दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में भी प्रसारित हुए। उपरोक्त क्षेत्रों में आज तक भी बौद्ध धर्म के बेशुमार आसक्त अनुयायी रहते हैं।

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