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रेशम मार्गः पुराने समय में चीन व पश्चिम के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का मुख्य रास्ता
2014-12-22 09:11:59 cri

वस्तुओं व तिजारती मालों का अदला-बदला

मनुष्य के सांस्कृतिक आदान प्रदान में वस्तुओं व तिजारती मालों की अदला-बदली सब से सामान्य है। मानव जाति के विभिन्न इलाकों में इसी तरह के विनिमय से एक दूसरे की कमियों की आपूर्ति होती है तथा एक दूसरे के जीवन को विविधतापूर्ण कर दिया जाता है।

हान राजवंश के शुरूआती काल में रेशमी कपड़े के अलावा चीन से रोगन के बर्तन व लोह बर्तन आदि वस्तुओं का भी निर्यात किया जाता था। थांग राजवंश में चीनी मिट्टी बर्तन रेशम मार्ग पर अहम निर्यात वस्तु बन गए। सुंग व य्वान के राजकाल में चीनी मिट्टी बर्तन का निर्यात बहुत ज़्यादा था। साथ ही चाय भी प्रमुख निर्यात माल बन गयी। इन के अलावा, कॉप्टिस, दालचीनी, अदरक व पोरिया आदि चीनी औषधियों और सेपिनडूस, शहतूत, काठी, तांबा मिश्रित धातु आदि वस्तुएं विभिन्न कालों में विभिन्न तरीकों से पश्चिम में पहुंच गयी थीं।

पश्चिम के कुछ उत्पाद व उपजें और दुर्लभ व सुन्दर जीवजंतु भी रेशम मार्ग के जरिए चीन में आये। पश्चिमी क्षेत्रों का दौरा करते समय चांग छ्यान अंगूर व अनार जैसे उपजों के बीज वापस लाए थे, जो मध्य चीन क्षेत्र में नहीं मिलती थीं। इस के अलावा, हू थाओ(अखरोट), हू तो(बीन), हू चाओ (काली मिर्च), हू क्वा(ककड़ी) जैसे नाम में"हू"अक्षर लगने वाली कृषि उपजें भी पश्चिमी क्षेत्रों से चीन आई थीं जिन के ये नाम आज तक भी प्रचलित हैं। पश्चिमी क्षेत्रों से चीन में आए अनेक प्रकार के मसाले भी थे, जो उस जमाने में औषधि के रूप में इस्तेमाल होते थे। कुछ कृषि फसलें, जैसे मकई, मूंगफूली, सूर्जमुखी, आलू और टमाटर भी पश्चिम से चीन आए थे, जिससे चीन में फसलों की किस्में बढ़ गयी थीं और चीनी लोगों के खानपान पर भी कुछ प्रभाव पड़ा था। इस के अलावा पश्चिमी क्षेत्रों व पश्चिम एशिया से कुछ पशु पक्षी भी चीन में लाई गईं, जिससे चीन में पशुपालन और नसल सुधार को बढ़ावा मिला था। कुछ दुर्लभ जीवजंतु चीनी सम्राटों को भेंट के उपहार के रूप में लाए गए जिसने चीनी लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया था।

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