प्रत्युषा बताती है कि चीन में पढाई का पर्यावरण बहुत अच्छा है, और पढाई का माहौल भी श्रेष्ठ है। प्रत्युषा ने बताया कि चीन में दो साल पढाई करने के दौरान उन्हें जो सबसे बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई है, वह है कि उनमें स्वतंत्र रूप से जीवन बिताने का आत्मविश्वास बढा है। भारत में, इकलौती और लाड़ली प्रत्युषा रोज़ाना अपने माता-पिता के साथ रहती थी, और एक पल के लिए भी जुदा नहीं होती थी। वह न केवल अपने माता-पिता के साथ रहती थी, बल्कि अपने दादा-दादी के साथ भी रहती थी। प्रतिदिन इस घर से उस घर जाना लगा रहता था। चीन में पढाई करने दौरान उन्हें हर दिन अकेले ही सभी काम करना होता है। उन्होंने एक लाडली जीवन को अलविदा कर दिया है।
इन दिनों चीन में स्नातक होने का मौसम छाया हुआ है। जब कॉलेज-स्नातक छात्रों से उनके जाँब ढूँढ़ने की बारें में बात की तो प्रत्युषा ने भी अपना प्लान बताया। वह चीन में चीनी भाषा की पढाई पूरी करने के बाद अध्ययन जारी रखने के लिए अमेरिका जाएंगी, औऱ वहां अंतर्राष्ट्रीय संबंध विषय पढ़ेंगी। वह बताती है कि चीन और भारत दोनों बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं और दोनों की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ रही है। दोनों देशों के छात्रों को स्नातक होने के बाद नौकरी ढूंढने की मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
"भारत में आम विषयों से ग्रैजूएशन करने वालो को मनपसंद नौकरी मिलना करीब असंभव है। ऐसा भी हो सकता है कि बहुत से छात्र स्नातक होने के बाद जो व्यवसाय करते है, उनका पढे हुए मुख्य विषय से कोई संबंध नही होता है। परन्तु लॉ, मेडिकल जैसे विषयों से स्नातक होने पर अनुकूल काम पाना अपेक्षाकृत आसान है। निवेश, बैंकिग आदि वित्तीय विषयों के स्नातकों को नौकरी ढूंढते समय काफी परेशानी होती है, क्योंकि इस तरह की पोस्ट के लिए शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा होने की जरूरत होती है। आमतौर पर पीएचडी होल्डर होना चाहिए, तब कोई नामी कम्पनी उनको रख लेती है, और एक अच्छी पोस्ट देती है।"