प्रत्युषा के अनुसार, अभी हाल में चीन में आये भारतीय छात्र बहुत कम है। हालांकि जो होते है, वे ज्यादातर अल्पकालिक कोर्स करते है। वह बताती है:
"भारतीय लोगों का बिल्कुल नही मानना है कि चीनी भाषा सीखना मायने रखता है या कहा जाए कि वे नहीं जानते कि चीनी भाषा सीखने से खुद का क्या फायदा होगा।"
प्रत्युषा का मानना है कि एक बार भारतीय छात्र सच में चीन के इतने सालो के विकास और उपलब्धियां को जान लेता है, तो फिर से भारत के घरेलू स्थिति की तुलना की जाए, तो महसूस करेगा कि चीन आकर पढाई करनी चाहिए। चीन आकर न केवल चीनी भाषा को पढ़े, बल्कि चीन के सभी क्षेत्रों में प्राप्त सफल अनुभवों से भी सीखें।
पढाई के अलावा, प्रत्युषा शांघाई, छींगथाओं, और भीतरी मंगोलिया आदि क्षेत्रों का भी दौरा किया है। भीतरी मंगोलिया ने उन पर सब से गहरी छोप छोड़ी है। यहां 4,5 दिन की यात्रा के दौरान रोजाना सुबह से शाम तक पर्यटक बस में रहते थे और ऐसे में तबियत भी बहुत ख़राब हो गई थी। पर इस तरह के अनुभवों से उन्हें फायदा पहुंचा है।