अपने को खुद चुनौती देने के लिए प्रत्युषा ने बहुत मुश्किल चीनी भाषा का चयन किया। लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि चीनी भाषा पढना इतना कठिन होगा। एकदम कल्पना से परे। इतिहास, संस्कृति, अख़बार पढना आदि पाठ्यक्रमों ने उन्हें कठिन चुनौतियों के कड़वाहट को चखने का मौका दिया।
चीनी भाषा पढने से पहले, वह और सभी विदेशी छात्र एक ही जैसे थे। पहले प्रारंभिक कक्षा में पढते थे। परंतु भाषाओं में प्रतिभावान प्रत्युषा ने 1 सेमेस्टर के प्रारंभिक कक्षा के समाप्त होने के बाद, असाधारण क्षमता और उत्कृष्ट रिज़ल्ट पाने से पहले वर्ष की पहली छमाई की कक्षा को स्किप कर सीधा पहले वर्ष की दुसरी छमाई के पाठ्यक्रम में पढाई की। अब, प्रत्युषा फर्राटे से चीनी बोल सकती हैं। चीनियों से बातचीत करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है। ऐसा लगता है कि जैसे उन्हें चीन में रहते हुए कई साल हो गये है। ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि उन्हें चीनी भाषा पढे अभी 2 साल ही हुए है। जून के महीने में, उनके रिश्तेदार चीन घुमने के लिए आये थे। उन्होंने उनके लिए एक होटल बुक कराया, और उनको ले जाकर पेइचिंग के हर एक स्मारक की सैर करवाई। एक अनुवादक बन कर उनको किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं आने दी। उनके रिश्तेदार उनकी चीनी भाषा के स्तर को देख कर अचंभित हो गए थे।
"वर्तमान में, अकेले रहने की पूरी आदत हो गई है। मुझे लगता है कि भाषा पढ़ने के लिए उसी भाषा के देश में जाकर पढाई करें तो सबसे बढिया है। यदि मैं भारत में रहकर चीनी भाषा पढती, तो 2 साल में अब जैसा प्रभाव नही पडता।"