पंकजः चंद्रिमा जी, कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं अपने श्रोता कन्हैयालाल अग्रवाल जी के पत्र से। ये पत्र इन्होंने हमें लिखा है 51 मानस नगर, शाहगंज आगरा से। इन्होंने अपने पूरे पत्र में सिर्फ एक ही बात की जानकारी मांगी है कि मानसरोवर की यात्रा कैसे की जा सकती है क्योंकि मानसरोवर झील चीन में आती है, इसलिये वो हमसे इस बारे में जानकारी चाहते हैं। साथ ही कन्हैयालाल जी हमसे ये भी पूछते हैं कि अगर नेपाल सरकार की ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से हम मानसरोवर की यात्रा करते हैं, तो वीज़ा के लिये आवेदन नेपाल सरकार के माध्यम से किया जा सकता है या नहीं?
चंद्रिमाः कन्हैयालाल जी, अब मैं आप के सवाल का जवाब देने की कोशिश करूंगी। भारत से मानसरोवर की तीर्थयात्रा करने वाले अधिकतर लोग भारत से विमान या बस द्वारा नेपाल पहुंचते हैं, फिर वे नेपाल से गुजरकर बस से तिब्बत में प्रवेश करके मानसरोवर जाते हैं। पर अगर हम वीज़ा की चर्चा करें, तो शायद आप को नेपाल सरकार से चीन जाने का वीज़ा नहीं मिल पाता। हम आप को यह सलाह देते हैं कि आप सब से पहले भारत में चीनी दूतावास से वीज़ा पाने की कोशिश कीजिये, फिर अपनी यात्रा करें। सुना है कि हर साल मानसरोवर की तीर्थयात्रा के लिये वीज़ा की संख्या सीमित है। आप कुछ पर्यटन एजेंसी से संपर्क करके इसके बारे में पूछ सकते हैं।
पंकजः जी हां, क्योंकि भारत में बहुत सी पर्यटन एजेंसी मानसरोवर की तीर्थयात्रा का प्रबंध करती हैं। वे ज़रूर आपको इससे जुड़े सवालों का संतोषजनक जवाब दे सकेंगी। और आशा है कि हिन्दू धर्म के ज्यादा से ज्यादा अनुयायियों को अपने पूरे जीवन में कम से कम एक बार वहां जाने का मौका मिल सके। वहां का दृश्य सचमुच बहुत सुन्दर है। क्योंकि हमारे हिन्दी विभाग की संवाददाता श्याओयांग दीदी ने इस वर्ष जुलाई में वहां की यात्रा की, और मानसरोवर की बहुत सुन्दर फ़ोटो खींची है। इन ढेर सारी सुंदर फ़ोटो को देखकर मुझे भी वहां जाने की इच्छा होती है।