चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, अब मुझे आप लोगों को एक बुरी खबर सुनानी पड़ेगी। हालांकि मैं यह नहीं बोलना चाहती, लेकिन बताना ही पड़ेगा। वह है मेरे साथी, आप के प्रिय दोस्त विकास जी हम से बिदा लेंगे। यही कारण है कि आज के कार्यक्रम में सब से पहले मैंने विशेष तौर पर विकास जी के लिये एक गीत पेश किया।
विकासः जी हां, दोस्तो, मैं पेइचिंग विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिये चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से विदा ले रहा हूं। शायद आज के बाद रेडियो पर आप लोग मेरी आवाज नहीं सुन पायेंगे, पर कोई बात नहीं, आप लोग हमेशा मेरे दिल में हैं। सबसे पहले तो मैं सी आर आई के हिंदी विभाग का आभारी हूं जिसने मुझे आप सभी प्यारे श्रोताओं से परिचय कराया। उसके बाद मैं आप सभी का भी आभारी हूं, अगर आप लोगों का समर्थन नहीं होता तो मैं इतने दिनों तक आपके साथ भी नहीं रहता। आज के इस कार्यक्रम में मैं उन तमाम श्रोताओं से विदा लेना चाहता हूं जिनका प्यार और समर्थन हमेशा मुझे मिलता रहा है। हालांकि मैं हिंदी विभाग से जा रहा हूं लेकिन मैं सी आर आई परिवार में और आपके सभी के दिल में हमेशा के लिए रहूंगा। कहते हैं कि जब आदमी अपने हमवतन से दूर होता है तो हमेशा अपने देश की याद आती रहती है। लेकिन मैं बहुत खुशी के साथ कहना चाहता हूं कि सी आर आई परिवार से जो प्यार और सत्कार मुझे मिला है उसने कभी मुझे अकेलापन महसूस नहीं करने दिया है। हिंदी विभाग हमेशा मेरे लिए एक परिवार की तरह रहा है और मुझे भी यहां से जाने का इतना ही दुख है जितना अपने परिवारजनों से बिछड़ने का दुख होता है। चंद्रिमा जी लगता है हमारे श्रोता और आप भी काफी भावुक हो गयी हैं। लेकिन दोस्तो, आप सभी दुखी नहीं हों क्योंकि मैं हमेशा यहीं आपके पास रहूंगा, अपनी यादों में हमेशा आपको साथ रखूंगा। चलिए अब हम सभी एक गीत सुनते हैं।
चंद्रिमाः अच्छा, दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। अगले हफ्ते मैं आप से फिर मिलूंगी एक नये साथी के साथ।
विकासः पर वे कौन हैं अभी हम नहीं बताएंगे। अगर आप जानना चाहते हैं, तो हमारा कार्यक्रम आप का पत्र मिला ज़रूर सुनें।
चंद्रिमाः अब चंद्रिमा व विकास को आज्ञा दीजिये, नमस्कार।
विकासः नमस्कार।