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एक प्रोग्राम विकास के नाम
2012-08-29 15:33:22

चंद्रिमाः अच्छा, तो आज के कार्यक्रम में हम सब से पहले विशेष तौर पर विकास जी के लिये एक गीत पेश करेंगे, गीत के बोल हैं किरणों की छटा। इस गीत में शरत् ऋतु की सुन्दरता के साथ साथ प्रेमियों के बीच गहरी भावना का भी व्याख्यान अच्छी तरह से किया गया है। गायिका छन शू ह्वा ने ऐसा गाया है कि न सर्दी न गरमी शरद् ऋतु धीरे धीरे हमारे पास पहुंचा, शाम के हवा से कई लाल लाल पत्ते ज़मीन पर गिरे, चुपके से इस किरणों की छटा को देखते देखते शरीर व मन दोनों कोमल हो गये। न मस्त न जागरुक के बीच दूसरों की बुरी बातों को अनदेखा व अनसुना किया। मैंने बादल से आयी बूंद की तरह आप के मुह को चूमा दिया। बदलते हुए संसार में सच्चा प्रेम मिलना बहुत मुश्किल है। अपने पसंदीदा व्यक्ति के साथ आनंद समय बिताने में किसी की परवाह न रखें।

विकासः बहुत बहुत धन्यवाद, चंद्रिमा जी। मुझे यह मधुर गीत बहुत पसंद है, और आशा है सभी श्रोताओं को भी जिन्हें शरद् ऋतु पसंद है, यह गीत जरूर पसंद आया होगा।

चंद्रिमाः चलें, अब हम आज का पहला पत्र पढ़ेंगे। शिवहर, बिहार के अजीत कुमार ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि मैं सी.आर.आई. का एक नियमित श्रोता हूं। मैं अपने जीवन का प्रथम पत्र सी.आर.आई. को प्रेषित कर रहा हूं। लगभग दो वर्षों से मैं सी.आर.आई. से जुड़ा हूं। लेकिन समय की कमी के कारण विभिन्न गतिविधियों में मैं शामिल नहीं हो पाता। आशा करता हूं कि हमें भी आप श्रोता वाटिका, लिफ़ाफ़ा व कुछ अन्य चीनी पत्र-पत्रिकाएं भेजेंगे। जब समय मिले, तो पत्र अवश्य लिखता रहूंगा। अजीत कुमार भाई, हमने आप का पता हमारे मेल-लिस्ट में शामिल किया है। भविष्य में आप को ज़रूर समय समय पर सी.आर.आई. से सामग्रियां मिलती रहेंगी। और हम आपके अगले पत्र की प्रतीक्षा में हैं।

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