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पेइचिंग विश्वविद्यालय में हिन्दी की पढ़ाई
2012-07-12 10:41:23

विकासः अब मेरे हाथ में एक पत्र है जो कि कोआथ बिहार की धनवंती देवी केशरी भेजी हैं। वे कहती हैं कि तिब्बत का कायापलट प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हूं। पुरस्कार भेजने का कष्ट करेंगे। धनवंतरी जी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इस प्रतियोगिता का परिणाम पहले ही घोषित किया जा चुका है। आप नियमित रूप से हमारे कार्यक्रम सुना कीजिए। आपको भी पुरस्कार अवश्य मिलेगा। मेरे हाथ में अगला पत्र भी कोआथ बिहार से ही है। यह पत्र हाशिम आजाद द्वारा भेजा गया है। उन्होंने लिखा है कि दीपक कुमार दास का दौरा श्रोताओं के लिए सुखद है। उनके दौरे से यह बात पक्की हो गई है कि कोई भी श्रोता सी आर आई का दौरा कर सकता है। दीपक जी की यात्रा से श्रोताओं में कुछ खास श्रोता द्वारा चीन की यात्रा की धारणा खत्म हो गई है।

चंद्रिमाः हाशिम आजाद जी, आपका कहना बिल्कुल सही है। चीन की यात्रा एक विशेष पुरस्कार है जो कि श्रोताओं को सीआरआई के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। अगर आप सभी भी हमारे कार्यक्रम नियमित रूप से सुनते हैं और सी आर आई के प्रचार-प्रसार में हिस्सा लेते हैं तो आप भी अवश्य ही इसके भागीदार होंगे। अगला पत्र रांची से कुमारी शबनम हेमरोम का है। उनका पत्र काफी लंबा है। पत्र में सभी कार्यक्रमों की चर्चा की गई है।

विकासः विशेष रूप से चीन का भ्रमण, चीन का तिब्बत, आपकी पसंद। वे कहती हैं कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में कागज की खोज कार्यक्रम का दो भाग सुनी। सुनकर पता चला कि पुराने समय में लोग किस तरह कागज बनाते थे। चीन का तिब्बत के तहत तिब्बत में पर्यटन उद्योग के विकास शीर्षक आलेख सुनी। कार्यक्रम के माध्यम से तिब्बती लोगों के रहन-सहन और उनके रीति-रिवाज के बारे में पता चला। तिब्बती गीत भी काफी रोचक और मधुर होते हैं। अंत में उनका कहना है कि हिंदी चीनी भाई-भाई, भारत-चीन विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। हमारी दोस्ती हमेशा साथ रहे। शबनम बहन इतना लंबा पत्र लिखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है आप आगे भी हमें पत्र लिखती रहेंगी।

चंद्रिमाः दोस्तों कार्यक्रम समाप्त होने का समय नजदीक आ रहा है। यहां पर मैं श्रोताओं से एक अनुरोध करना चाहती हूं। आजकल आपके पत्रों में सिर्फ कार्यक्रमों के बारे में ही टिप्पणी होता है। प्रश्न बहुत कम होते हैं। आशा है आपलोग ज्यादा से ज्यादा प्रश्न हमारे पास भेजेंगे। हम हमेशा आपके पत्रों की प्रतिक्षा में रहते हैं। इसी के साथ हमारा कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है।

विकासः अगले हफ्ते हम आपसे फिर यहीं मिलेंगे। तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिए। नमस्कार।

चंद्रिमाः नमस्कार।


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