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• चिनशा नदी के पास लकड़ी के मकान
दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छवान प्रांत के केन त्सी तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में चिनशा नदी के तट पर एक ऐसा छोटा गांव है। गांव के पास पहाड है,जिस पर 800 साल पुराना मशहूर तिब्बती बौद्ध धर्म का ग थुओ मठ है ।गांव में अकसर टनटन की आवाज सुनाई देती है।

• तिब्बती भिक्षु कांगार जिम्बा का एक दिन

बहुत से लोग तिब्बती भिक्षुओं के जीवन के बारे में जानने के जिज्ञासु हैं। इस जटिल और रंग भरी दुनिया में वे कैसे धैर्य के साथ सरल और शांतिपूर्ण जीवन बिता सकेंगे ? वर्तमान विश्व के बदलने की गति दिन-ब-दिन तेज हो रही है। क्या भिक्षुओं का जीवन भी इसके साथ बदल रहा है ? अब हमारे संवाददाता के साथ तिब्बत के प्रसिद्ध मठ साक्या मठ में जाकर तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु कांगार जिम्बा की कहानी सुनें।


• शाननान का मनबा नाटक
लबूगो काऊंटी चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के शाननान प्रिफेक्चर के स्वोना जिले में स्थित है। जब सुबह का सूरज निकलता, तो पहाड़ों पर हरे पेड़ व घास सूर्य की रोशनी में चमकते रहे हैं। साफ सुथरे दालाब का पानी और आराम से घूमने वाले भेड़ व बैल को देखते ही लोग मानो स्वर्ग में प्रवेश आए हैं। गत हजारों वर्षों में मनबा जाति के लोग यहां ठहरते हैं। मनबा नाटक, हस्तशिल्प, बांस बर्तन, लकड़ी कटोरा आदि मनबा जाति की संस्कृति का जीवित जीवाश्म बनते हैं।

• ल्हासा में 7 वर्ष तक रहने वाले नेपाली व्यापारी की कहानी

अनेक लोगों के लिए तिब्बत एक दूर दराज़ का इलाका और रहस्यमय पवित्र भूमि है। लेकिन अनेक देशी-विदेशी लोगों को तिब्बत की मनमोहकता आकर्षित करती है। और भी कुछ पर्यटक वहां रहते हैं और तिब्बत को अपना दूसरा घर मानते हैं। नेपाली व्यापारी वांग छिंग 7 वर्षों से ल्हासा में रहते हैं।


• तिब्बती संस्कृति का कलात्मक महल—साग्य मठ

साग्या मठ तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के शिकाजे की साग्या काउंटी में स्थित है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के पांच संप्रदायों में साग्या शाखा का मुख्य मठ है। युआन राजवंश के सम्राट कुबलाइ ख़ान ने साग्या संप्रदाय के पांचवीं पीढ़ी के मठाध्यक्ष फाग्पा को देश के सर्वोच्च धार्मिक गुरू के पद पर नियुक्त किया और उन्हें जेड मुहर भेंट की। साथ ही उन्हें राष्ट्रीय बौद्ध मामलों का प्रबंधन करने और तिब्बत का प्रशासन करने में केंद्रीय सरकार को सहायता देने का अधिकार भी दिया गया। इसी जमाने में तिब्बत औपचारिक रूप से चीन के नक्शे में शामिल हुआ।


• चरवाहों के गांव – परंपरा और आधुनिकता का मेल
माछ्यू काउंटी उत्तर-पश्चिम चीन के कानसू प्रांत के काननान तिब्बती स्वायत प्रिफेक्चर में स्थित है, जो कानसू, छिंगहाई और स्छ्वान प्रांत को जोड़ता है। पहले स्थानीय लोग चरागाह पर सरपट और चरवाहे का जीवन बिताते थे। उनके स्थाई मकान नहीं थे। चाहे ठंडी हवा चले या भारी बारिश, वे सिर्फ तम्बुओं में रहते थे। गाय और भेड़ उनकी सभी संपत्ति होती थी। समाज के विकास के चलते अब स्थानीय लोग स्थाई मकान में अच्छे जीवन का आन्नद उठाते हैं।

• लांगमू मंदिर कस्बा
लांगमू मंदिर कस्बा कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की लूचू काउंटी में छिंगहाई-तिब्बती पठार के किनारे स्थित है। यह कस्बा तिब्बती बौद्ध धर्म के नाम पर जाना जाता है। यहां वनस्पति कवरेज दर 90 प्रतिशत तक पहुंची है, इसलिये गर्मियों में बहुत से पर्यटक गर्मी से बचने के लिये विशेष तौर पर लांगमू मंदिर कस्बा आते हैं।

• सुंदर च्यो चेइको, मेरा घर---तिब्बती आदिवासियों का जीवन
च्यो चेइको दर्शनीय स्थल चीन के स्छवान प्रांत के अबा तिब्बती और छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर में स्थित है, जो अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। उसका दूसरा नाम है पृथ्वी पर स्वर्ग। चीनी भाषा में च्यो चेइको का मतलब है- पहाड़ों की तलहटी में बनी खाई में बसे नौ गांव। क्योंकि वहां पहाड़ों के बीच नौ तिब्बती गांव बसे हैं और हज़ार से ज्यादा तिब्बती वहाँ रहते हैं। उन्होंने अब भी अपने दैनिक जीवन में पुरानी तिब्बती परंपरा को बरकरार रखा है।
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