लबूगो काऊंटी चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के शाननान प्रिफेक्चर के स्वोना जिले में स्थित है। जब सुबह का सूरज निकलता, तो पहाड़ों पर हरे पेड़ व घास सूर्य की रोशनी में चमकते रहे हैं। साफ सुथरे दालाब का पानी और आराम से घूमने वाले भेड़ व बैल को देखते ही लोग मानो स्वर्ग में प्रवेश आए हैं। गत हजारों वर्षों में मनबा जाति के लोग यहां ठहरते हैं। मनबा नाटक, हस्तशिल्प, बांस बर्तन, लकड़ी कटोरा आदि मनबा जाति की संस्कृति का जीवित जीवाश्म बनते हैं। आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ शाननान के मनबा नाटक का आनंद उठाऐंगे।
चीन के अनेक स्थानीय नाटकों में मनबा नाटक बहुत लोकप्रिय नहीं है। वह चीनी राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल किया गया है। तिब्बत के लबूगो काऊंटी में मनबा जाति के कुल 600 से ज़्यादा लोग ठहरते हैं और दृशक भी स्थानीय लोग है। एक पुराना नाटक होने के नाते, मनबा नाटक ने मनबा जाति की लोक संस्कृति में प्रचुर कथाओं व मिथकों, गान-नृत्य और धार्मिक नृत्य आदि से विषय व आकृति लेकर धीरे धीरे विशेष नाटक कला का तरीका बना। तिब्बती क्षेत्र के तिब्बती नाटक की तुलना में मनबा नाटक में और ज़्यादा पुराना स्वाद होता है।
गसांगदेनजडं लबूगो काऊंटी के उपप्रधान हैं और वे मनबा नाटक के उत्तराधिकारी हैं। उन के अनुसार, मनबा नाटक तिब्बत के आठ तिब्बती नाटकों में से एक है, जो आम तौर पर छह अभिनेताओं और एक ड्रम बजाने वाले द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। छह अभिनेता तो अलग अलग तौर पर मछुआ, राजा, राजकुमारी, परी आदि 15 पार्टों का अभिनय करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सभी पार्टों का अभिनय पुरुषों को करना पड़ता है। यह भी मनबा नाटक में रहस्यमय का रंग डालता और मनबा नाटक की विशेषता बनता है।
गसांगदेनजडं ने कहा कि मनबा नाटक के एक पले का पूरा अभिनय कम से कम तीन दिनों तक चलेगा। नाटक को रंग बिरंगा बनाने के लिए बीच में कुछ नृत्य भी शामिल करते हैं। ये नृत्य पशुओं की आकृति से लाते हैं, जो बहुत विविधतापूर्ण हैं। लेकिन मनबा नाटक का उत्तराधिकार एक आसान बात नहीं है। गसांगदेनजडं ने हमें बताया,
जब मैं 17,18 की उम्र में था, मैंने मनबा नाटक का अभिनय करना शुरु किया। उस समय अध्यापक के पास केवल नौ शिक्षु थे। जीवन स्थिति बहुत कठोर थी और निश्चित प्रशिक्षण भी नहीं था। मनबा नाटक धीरे धीरे लोगों के जीवन में लापता होने लगा था।
गसांगदेनजडं के अनुसार 2006 में मनबा नाटक चीन के राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की प्रथम नामसूची में शामिल किया गया। लबूगो काऊंटी की मनबा जाति के लोगों को भी अपनी जातीय परम्परागत संस्कृति का प्रसार करने का अच्छा मौका मिला।
उस समय लबूगो काऊंटी की मनबा जाति के लोगों में केवल छह वृद्ध मनबा नाटक का अभिनय कर पाते थे। उन में गसांगदेनजडं के पिता जी भी शामिल थे। किसी भी एक व्यक्ति पूरा मनबा नाटक नहीं देख पाता था और हर एक व्यक्ति केवल नाटक का कुछ अंक गा सकता था। इसलिए मनबा नाटक का रिकॉर्डिंग कार्य बहुत मुश्किल से चल रहा था। वृद्ध कलाकारों का निरंतर अभिनय करने और विचार-विमर्श करने के बाद मनबा नाटक का अपना पुराना अभिनय तरीका व विषय धीरे धीरे पूरा हो गया।
गसांगदेनजडं ने कहा कि अब लबू काऊंटी में एक 16 सदस्यों से गठित मनबा नाटक अभिनय दल का गठन किया गया। जब नव वर्ष जैसे महत्पूर्ण त्योहार के मौके पर यह दल लोगों के लिए अभिनय करते हैं। इतना ही नहीं उन्हें शाननान प्रिफेक्चर के अन्य क्षेत्रों, यहां तक तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक भी अभिनय करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
परिवारजनों के समर्थन में गसांगदेनजडं ने मनबा नाटक के उत्तराधिकार कार्य में लगन लगाया। गसांगदेनजडं के अनुसार,
मनबा जाति की अपनी भाषा है, लेकिन लिपि नहीं है। हम मनबा नाटक में गाने के बोल शब्दों में नहीं लिख पाते हैं, इसलिए हमें केवल मौखिक रूप से दूसरों को सिखाना पड़ता है। मनबा नाटक के उत्तराधिकार के प्रति मेरी चिंता है। कारण यह है कि हम मनबा जाति के लोग कुल चार काऊंटियों में फैले हैं, जिन की जनसंख्या करीब 600 है। मनबा जाति लापता होने की चिंता है और मनबा नाटक भी इस वजह से नहीं रहेगा।
तिब्बती जातीय कला अनुसंधान संस्था के भूतपूर्व उपप्रधान, तिब्बती नाटक व तिब्बती सांस्कृतिक कला के अनुसंधानकर्ता ल्यू जीछ्वन इस से बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा,
हमें मनबा नाटक की परम्परागत कला को और उन्नत करना चाहिए। वृद्ध कलाकारों की उम्र बड़ी हो गयी और युवाओं का प्रशिक्षण करने के लिए समय भी लगेगा।
2006 में मनबा नाटक चीनी राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल किया गया। तिब्बत स्वायत प्रदेश के शाननान प्रिफेक्चर आदि स्थानीय सरकारें मनबा नाटक के उत्तराधिकार को बड़ा महत्व देती हैं। स्वोना जिले की सांस्कृतिक ब्यूरो के प्रधान प्येनबागलेई के अनुसार,
हमारी सांस्कृतिक ब्यूरो मुख्यतः तीन क्षेत्रों में मनबा नाटक का संरक्षण करता है। प्रथम, उत्तराधिकार मनबा जाति के प्राइमरी स्कूलों में मुफ्त रूप से बच्चों को मनबा नाटक गाना सिखाते हैं, ताकि बच्चों को अपनी जाति की संस्कृति की जानकारी मिल पाए। दूसरा, जिले के लोक कला मंडल के प्रदर्शन से मनबा नाटक का संरक्षण किया जाएगा। तीसरा, देश की पूंजी सहायता और स्थानीय सरकार के समर्थन में मनबा नाटक के उत्तराधिकारियों के लिए एक विशेष स्थल खोला जाएगा, ताकि मनबा जाति के लोग वहां जाकर अपनी जाति की संस्कृति के बारे में जानकारी पा सकें। अब भाषा मनबा नाटक के उत्तराधिकार के लिए सब से बड़ी समस्या है। मनबा जाति की भाषा न जानने वाले लोगों को मनबा नाटक सिखाना नामुमकिन है। इसलिए हमें सर्वप्रथम उपरोक्त तीन क्षेत्रों में प्रयास करना पड़ता है।
मनबा नाटक के उत्तराधिकारी होने के नाते गसांगदेनजडं आशा करते हैं कि मनबा जाति की संस्कृति का प्रसार किया जाएगा। उन का कहना है,
अब देश की नीति बहुत अच्छी है। सरकार ने गैरभौतिक सास्कृतिक विरासतों के संरक्षण व उत्तराधिकार के लिए अनेक पैसे दिए हैं और उत्तराधिकारियों को मदद दी। मैं भी अपनी सभी तकनीक को शिक्षुओं को सिखाऊंगा। आशा है कि बाद में और ज्यादा युवक यह कला सीखेंगे। मेरा एक सपना है कि लबूगो का हर एक व्यक्ति मनबा नाटक गा सके।
(श्याओयांग)