समारोह में धनुष से संबंधित नृत्य दिखाते हुए
खेल समारोह में तिब्बती बच्ची कांस्कृतिक अभिनय का मज़ा लेते हुए
च्यानचा क्षेत्र में धनुष स्थानीय लोगों के उत्पादन, जीवन और धार्मिक विश्वास समेत विभिन्न रीति रिवाज़ों और रस्मों में प्रवेश हो गया है। यहां तक कि कुछ स्थलों में धनुष पूजा भी पैदा हुई। गांव-गांव में नियमित रूप से धनुष प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इसी क्षेत्र के हरेक पुरुष को धनुष चलाना आता है। धनुष के प्रति विशेष रुचि के कारण च्यानचा क्षेत्र में धनुष बनाना लोकप्रिय हुआ। धनुर्धरों द्वारा बनाये गये धनुष बहुत सुन्दर होने के साथ-साथ वास्तविक प्रयोग में भी बहतर हैं। च्यानचा के तिब्बती लोग अपने परम्परागत"पंचरंग धनुष"में ज्यादा विषय शामिल करते हैं। उदाहरण के तौर पर लाल रंग का धनुष उत्साह और जीवन शक्ति का प्रतीक है, जबकि पीले रंग का धनुष समृद्धि और प्रतिष्ठा का प्रतीक। काले रंग का धनुष शक्ति और न्याय का प्रतीक है, जबकि नीले रंग का धनुष बुद्धि और सहनशीलता का प्रतीक। इसके अलावा, हरे रंग का धनुष आशा और शांति का द्योतक है। च्यानचा के तिब्बती लोग"पंचरंग धनुष"को अपनी आत्मा की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी तक विरासत में लेते हुए उसे विकसित करते हैं। इसकी चर्चा में च्यानचा कांउटी के संस्कृति, खेल, रेडियो, फिल्म, टीवी और पर्यटन ब्यूरो के प्रधान यांग चोंगखा ने कहा:
"फ़सलों के बाद लोग जमीन पर गेहूं के दानों से एक ढेर बनाते हैं। गेहूं ढेर के बीचोंबीच एक बड़े आकार वाला धनुष लगाया जाता है, धनुष के सिर पर शुभ सूचक सफेद हादा, रंगबिरंगे रेशमी कपड़े, हरे रंग के रत्न पत्थर और छोटे दर्पण जैसी वस्तुएं लगाई जाती हैं। इससे लोगों की अगले वर्ष में अच्छी फ़सल होने की आशा जताई जाती है। धनुष चलाने के वक्त धनुष पूजा और धनुष अगवानी वाला समारोह आयोजित किया जाता है। इसी दौरान'धनुष अगवानी'रस्म के आयोजन के लिए विशेष शिक्षक की आवश्यकता होती है। शिक्षक समारोह में गुणगान गाते हैं, जिससे धनुष से जुड़ी बहुत अधिक संस्कृतियां पैदा हुईं। तिब्बती लोग पर्वत की चोटी पर'ला त्ज़े'का निर्माण करते हैं, और'ला त्ज़े'में धनुष लगाते हैं, इस प्रकार की कार्रवाई से तिब्बती लोग विपदा को दूर करने, पूजा करने की अभिलाषा को धनुष में डालते हैं।'ला त्ज़े'को ऊंचे-ऊंचे पर्वतों की चोटी पर रखा जाता है। बाद में इसमें लगाए गए धनुष अधिक बड़े होते गए और आज बहुत शानदार पंचरंग धनुष बन गया है।"
"ला त्ज़े"तिब्बती भाषा का शब्द है।"ला"का मतलब"पर्वत की चोटी"और"त्ज़े"का अर्थ"बर्तन"या"भवन"है। तो कुल मिलाकर"ला त्ज़े"का अर्थ"पर्वत की चोटी पर बना भवन"है।"ला त्ज़े"का प्रमुख भाग धनुष है, लोग आम तौर पर इसे"धनुष का ढेर"या"धनुष लगाने वाला मंच"कहते हैं। स्थानीय तिब्बती लोग धनुष को बलि के रूप में"ला त्ज़े"पर लगाकर पर्वत देवता की पूजा करते हैं, ताकि पर्वत देव उनकी रक्षा करें।