छिंगहाई तिब्बत पठार में स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश समुद्र से बहुत दूर है। इस तरह यहां सी-फूड यानी समुद्री खाद्य पदार्थों की उत्पादन आमतौर पर नहीं मिलते। पहले तिब्बती लोग सी-फ़ूड न के बराबर खाते थे। लेकिन याओ वांगशान कृषि उत्पाद बाज़ार में हमारे संवाददाता ने सी-फू़ड बेचने वाली दसियों दुकानों को देखा, जिनमें कार्प, ग्रास कार्प, कैटफ़िश और ल्हासा मछली के अलावा समुद्री झींगा, स्कैल्पस, समुद्री केकड़ा, रिप्पोनफ़िश औक स्क्वीड आदि सी-फूड मिलते हैं।
बाज़ार में आन लान नामक सी-फूड दुकान की मालिक सुश्री छङ है, जो भीतरी इलाके के चच्यांग प्रांत के निंगपो शहर से सौदा करने के लिए ल्हासा आई हैं। उन्होंने बताया कि हर दिन सुबह सी-फूड विमान के जरिए निंगपो से भेजे जाते हैं और रात को ताज़ा सी-फूड ल्हासा पहुंचते हैं। इस दुकान में काम करने वाले मज़दूरों के अनुसार हर दिन दुकान में पांच या छह बड़े डब्बों वाले ताज़ा सी-फूड की बिक्री होती है। यहां पर मिलने वाले कई सी-फूड की किस्में हैं और दाम भी सस्ते हैं। एक किलो छोटा झींगा 40 युआन और एक किलो केकड़ा 110 युआन है, चीज़ों के दाम में भीतरी इलाके की तुलना में ज्यादा फ़र्क नहीं है। आन लान सी-फूड दुकान की मालिका सुश्री छङ का कहना है:"हमारी दुकान में बेचे जा रहे सी-फूड भीतरी इलाके के चच्यांग प्रांत के निंगपो शहर से विमान के जरिए पहुंचाए जाते हैं, जिनका दाम महंगा नहीं है, हमारे जन्मस्थान की तुलना में मात्र 8 या 10 युआन का फ़र्क होता है। आजकल ल्हासा में वित्तीय स्थिति अच्छी होने से आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग आम तौर पर सी-फूड खाते हैं।"
वर्तमान में भीतरी इलाके और तिब्बत के बीच आवाजाही दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। पठार से भीतरी इलाके में यात्रा करने वाले तिब्बतियों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है, इसके साथ ही भीतरी इलाके से तिब्बत में सैर करने और व्यापार करने आए व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। पारस्परिक आवाजाही के चलते तिब्बती लोगों को सी-फूड खाने की आदत होती जा रही है। इस तरह कई व्यापारियों की नज़र तिब्बत के सी-फूड बाज़ार पर पड़ गई है।
आन लान सी-फूड दुकान की दुकानदार सुश्री छङ ने बताया कि उसकी दुकान में बार-बार खरीददारी करने वाले ग्राहक बहुत ज्यादा हैं। वे आम तौर पर ल्हासा में रहने वाले भीतरी इलाके के निवासी हैं। लेकिन आजकल अधिक से अधिक स्थानीय तिब्बती लोग उसके यहां सी-फूड खरीदने आते हैं। पहले तिब्बती लोग कम सी-फूड खाते थे। लेकिन आजकल लोगों का जीवन स्तर बढ़ गया है, और वे कभी कभार हॉटलों और रेस्त्रां जाकर भीतरी इलाके के विभिन्न स्थलों के पकवान खाते हैं। कुछ तिब्बती बंधुओं को सी-फूड खाकर अच्छा लगा और वो घर वापस लौटकर इसे पकाने लगे। आजकल स्थानीय तिब्बती लोग शादी की रस्म में आयोजित दावत में अतिथियों को सी-फूड खिलाते हैं।