Web  hindi.cri.cn
रअकुंग थांगका का असली कला के रुप में विरासत में ग्रहण करने में संलग्न न्यांग पन
2012-07-08 19:27:28

रिपोर्ट के अनुसार थांगका कला ने सूक्ष्म चित्रण की विशेषता का ग्रहण करने के साथ साथ पश्चिमी चित्रण, खासकर तेल चित्रकला व तकनीकों को भी सीख लिया है। इसकी चर्चा में शिल्पकार न्यांगपन ने कहा:

"मैंने अपने एक थांगका में जिन 18 अर्हतों की तस्वीरें तैयार की हैं, उन की मुद्राओं से उन के पृथक स्वभाव की झलक मितली है, देखने में बहुत जीबंत लगते हैं। कारण है कि इसी कलात्मक कृति में तेज चित्रकला व तकनीक का ग्रहण किया गया है। हमारी कृतियों में बढ़िया तत्वों का ग्रहण किया जा सकता है, पर पारम्परिक कौशलों में बदलाव नहीं आना चाहिये। साथ ही थांगका का प्रभाव भीतरी चीनी चित्रकारी पर भी पड़ गया है, मैंने सछ्वान प्रांत में सूक्ष्म चित्र कला से सीखते समय जिन 70 से अधिक चित्रों का सृजन किया है, वे सब के सब परम्परागत थांगका कला को हान जातीय सूक्ष्म चित्रण कला के साथ हैं। अब मेरे प्रदर्शनी हाल में अभी प्रदर्शित दो कृतियां उच्च कोटि की हैं, क्योंकि थांगका का कौशल और रंग अपने ढंग के हैं, खनिज पदार्थ का रंग उस का आधार है, मकाऊ के तुनह्वांग के भित्ति चित्रों का रंग सैकड़ों हजारों वर्ष तक तरोताजा इसी से बरकरार रहा है। पर इस के आधार पर नया आविष्कार करने का गुंजाइश भी मौजूद है।"

पिछले अनेक वर्षों के विकास के चलते थांगका का प्रचार प्रसार व्यापक रुप से जनजीवन, समाज और बाजार में हो गया है, इस से और अधिक लोग थांगका से परिचित हो गये है और इस कला का प्रशंसक भी बन गये हैं। सितम्बर 2009 में छिंगहाई प्रांत के ह्वांग नान तिब्बती स्वशासन प्रिफेक्चर रअकुंग कला युनेस्को की अनुमति से मानव जाति के अभौतिक सांस्कृतिक विरास सूचि में शामिल हो गया है, जिन में प्रतिनिधित्व करने वाले रअकुंग थांगका कलात्मक कृतियां क्रमशः लोकप्रिय होने लगी हैं, अब रअकुंग थांगका कलात्मक कृतियों की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है, यहां तक कि हम हर वर्ष में तैयार इसी प्रकार वाली थांगका कृतियों की मांग पूरी करने में असमर्थ हैं। आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष थांगका का बाजार मूल्य कोई 20 से 30 करोड़ य्वान होता है।

बड़े मुनाफे और बाजार की भारी मांग से बहुत ज्यादा लोग थांगका कला सीखने में रुचि लेते हैं, अब रअकुंग क्षेत्र में कई हजार अनुभवी चित्रकार थांगका के सृजन में लगे हुए हैं, वे सब दसियों असाधारण थांगका मास्टरों द्वारा प्रशिक्षित हुए हैं। आज इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा बच्चे भी थांगका कला पर महारत अपना आजीविका समझते हैं, पर इस कला के कौशल पर महारत हासिल करना कोई आसान काम कतई नहीं है। तिब्बती शिल्पकार न्यांगपन ने कहा:

"यदि कोई छात्र इस कला को सीखने आता है, तो उसे यहां पर एक हफ्ते तक रहने की जरुरत है, ताकि उस की चित्र बनाने की प्रतिभा का पता लगाया जा सके, यदि उस में चित्रित प्रतिभा नहीं है, तो वह थांगका चित्रित करने लायक है, बुद्ध का चित्रण करना और दूर की बात है।"

1 2 3 4
संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040