प्राणों को मूल्यवान समझने और प्रकृति से प्यार करने के कारण यह वीरान क्षेत्र विभिन्न क्षेत्रों के भिन्न भिन्न पृष्ठभूमियों वाले व्यक्तियों को अपनी ओर खिंच लेता है। और तो और इसी प्रकार वाली तीव्र भावना की प्रेरणा तले मिशन और दायित्व से अधिकाधिक लोग इसी जंगली जानवरों के शांतिमय व सुंदर पार्क का रुप निखार बनाए रखने के लिये भरसक प्रयास करते हैं।
होहक्सिल प्रबंधन ब्यूरो के कार्यालय में हमारी मुलाकात संरक्षण स्टेशन से वापस लौटे छिंगताओ ज्ञानविज्ञान विश्वविद्यालय के कला व शिल्प कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर व बुजुर्ग स्वयंसेवक वांग थिंग और शेनशी प्रांत के दुधारु औद्योगिक ग्रुप के वैज्ञानिक अनुसंधान दल के अधिकारी ऊ च्वांग थ्येन से हुई। साथ ही हम पिछले 11 सालों में पांच बार पठार पर आये प्रसिद्ध जंगली जानवर फोटोकार शी ची नोंग और यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल तोतो नदी के पास काम में लगे यांगत्सी नदी वैज्ञानिक सर्वेक्षण स्टेशन के हरित नदी संगठन के अध्यक्ष यांग शिन से भी मिले।
यांग शिन का जन्म 1963 में हुआ, पठारीय हवाओं के झोकों से वे पूरी तरह उत्तर पश्चिम चीन का एक सीधा सादा आदमी बन गये हैं। आधे पक्के बालों व दाढीदार चेहरे पर लगे काले चश्मे के पीछे शरीफ चरित्र छिपा नहीं जा सकता। उन्होंने 1984 में यांगत्सी नदी के ऊपरी भाग का सर्वेक्षण दौरा करना, फोटो लेना और अन्वेषण करना शुरु कर दिया । इसी बीच उन्होंने बीसेक बार यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल में प्रवेश किया और 1995 में हरित नदी नागरिक वातावरण संरक्षण संगठन स्थापित कर यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल की रक्षा के लिये अनेक परियोजनाएं शुरु कर दीं। संरक्षण स्टेशन को आधार बनाकर यांग शिन ने स्वयंसेवकों के नेतृत्व में यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल में जंगली जानवरों की रक्षा के बारे में सिलसिलेवार पारिस्थितिकि वातावरण संरक्षण परियोजनाओं का निर्माण किया, साथ ही उन्होंने सरकारी विभागों को जो पारिस्थितिकि वातावरण संरक्षण सुझाव पेश किये हैं , उन्हें सरकारी विभागों द्वारा अमल में लाया गया है, जिस से यागंत्सी नदी के उद्गम क्षेत्र के पारिस्थितिकि वातावरण स्थिति और तिब्बती एंटीलोप की किस्मत पर चीन की विभिन्न स्तरीय सरकारों व सामाजिक समुदाय का ध्यान केंद्रित हो गया है। यांग शिन ने कहा:
"होहक्सिल संरक्षण के दौरान बहुत ज्यादा व्यक्तियों ने अपना योगदान कर दिया है, ठीक ही पूर्वजों के बलिदान से ही अधिकाधिक व्यक्ति इस क्षेत्र के संरक्षण के लिये यहां आकर्षित हुए हैं। गत 1994 में जब मैं पांचवीं बार यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल के सर्वेक्षण पर आया, तो मैंने सुना कि सोनाम्डाचय ने जंगली जानवरों के संरक्षण के लिये 18 बंदूकधारी शिकारों के साथ भिडंत में न्योछावर कर दिया, मैं इस बात से अत्यंत प्रभावित हुआ, फिर मैंने मन ही मन सोचा कि इस क्षेत्र के संरक्षण के लिये कुछ न कुछ काम करुंगा, जिस से तिब्बती एंटीलोपों की रक्षा के जरिये जैव विविधता का संरक्षण किया जायेगा।"