शी ची नोंग जंगली जानवरों का फोटो लेने में बड़े नामी हैं। 1997 में उन्होंने वीरान होहक्सिल क्षेत्र में प्रथम बार चौतरफा तौर पर तिब्बती एंटीलोपों की मनमाने ढंग से हत्या करने की खतरनाक हालत और जंगली याक दल द्वारा तिब्बती एंटीलोपों के संरक्षण में किये गये असाधारण प्रयासों के बारे में रिपोर्ट दी, जिस से देशी विदेशी लोगों का ध्यान यांगत्सी नदी के उद्गम स्थल की परिस्थितिकि व तिब्बती एंटीलोपों के संरक्षण पर केंद्रित हो गया। शी चीननोंग ने कहा:
"छिंगहाई तिब्बत पठार पर मेरा ध्यान होहक्सिल से शुरु हुआ है, फिर तिब्बती एंटीलोपों के संरक्षण से मेरा बीडियो के जरिये प्रकृति का संरक्षण करने का संकल्प और पक्का हो गया है।"
छिंगताओ ज्ञान विज्ञान विश्वविद्यालय के कला व शिल्प कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर व फोटोकार वांग थिंग की कहानी भी बेहद मर्मस्पर्शी है। उन्होंने तत्काल में ब्यूरो के प्रधान त्सेका और अपने युवक नामक एक लघु फिल्म देखी, इस लघु फिल्म से ये 50 वर्ष से ऊपर एसोसिएट प्रोफेसर वांग थिंग इतने प्रभावित हुए हैं कि होहक्सिल प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन ब्यूरो की प्रथम खेप का पर्यावरण संरक्षण स्वयंसेवक बनने की जी तोड़कर कोशिश की। वे न सिर्फ होहक्सिल में रहने वाले जंगली जानवरों पर चिन्तित हैं, बल्कि इस क्षेत्र के संरक्षित काम में कार्यरत भाइयों का ख्याल भी रखते हैं।
राजमार्ग पर तेजी से चलने वाली गाड़ी या छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पर दौड़ने वाली रेल गाडी में सवार होकर आप की नजर शायद होहक्सिल के छोटे छोटे संरक्षण स्टेशन पर नहीं पड़ती है। यहां तक कि आप की मुलाकात वनका, ताशी, कार्मा या सोनाम्डाचय जैसे व्यक्तियों, जिन्होंने अपना युवाकाल व जीवन इसी क्षेत्र के संरक्षण में अर्पित किया है, से कभी भी नहीं हो पाती है । लेकिन ठीक ही उन लोगों और संरक्षण स्टेशन की मौजूदगी से होहक्सिल क्षेत्र अवैध शिकारों से बच कर फिर पठारीय जानवरों के खूब सूरत घर में बदल गया है।