सोनाम्डाचय संरक्षण स्टेशन से कार चलाकर 45 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद समुद्र सतह से चार हजार चार सौ 76 मीटर की ऊंचाई पर खड़े वुताओल्यांग संरक्षण स्टेशन पहुंच जाता है। यहां पर कड़ी सर्दी ही नहीं, आक्सिजन का अभाव भी है, खराब जलवायु से छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग का सब से कठोर सेक्शन माना जाता है। छिंगहाई तिब्बत राजमार्ग का वू ताओ ल्यांग सेक्शन एक ऐसा महत्वपूर्ण स्थल है, जहां से जुलाई व अगस्त में तिब्बती एंटीलोप जन्म देने के बाद गुजर कर वापस लौट जाते हैं। जबकि तानचंगताशी और कर्मात्सेरिंग नामक दोनों कर्मचारी प्रतिदिन इसी मार्ग के सेक्शन पर गश्ती लगाने और यहां से गुजरने वाले वाहनों की रोकथाम करने में जुट जाते हैं, क्योंकि वे इन तिब्बती एंटीलोपों को इसी प्राणी चैनल को सही सलामत पार करने देने का दायित्व संभालते हैं।
तिब्बती एंटीलोपों का स्थानांतरण का दूसरा कुंजीभूत मार्ग छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग को जोड़ने वाला वू पेह पुल ही है, इन चैनलों की डिजाइन करते समय जंगली जानवरों की आदतों और स्थानांतरण नियमों को पूर्ण रुप से ध्यान में रखा गया है, ताकि जंगली जानवर यहां पर सामान्य रुप से रहने, स्थानांतरित करने और वंशवृद्धि करने की सुविधा प्राप्त कर सके। हमारी किस्मत इतनी अच्छी है कि तिब्बती एंटीलोपों के स्थानांतरण के सुनहरे अवसर पर हम ने वू पेह पुल पर झुंड के झुंड तिब्बती एंटीलोप चैनल पारते हुए देख लिये हैं।
तिब्बती एंटीलोप अपने कमजोर शरीर व अपनी मातृ वृत्ति को सजग रुप से वू पेह पुल को पार कर गये हैं। अव वे अपने बच्चों को लेकर सान च्यांग य्वान क्षेत्र की ओर लम्बा अभियान करने लगे हैं।