मंगोलियन भाषा में होहक्सिल का अर्थ है हरित पहाड़ और सुंदर युवती। होहक्सिल क्षेत्र उत्तर पश्चिम छिंग हाई प्रांत में अवस्थित है, वह शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश से सटा हुआ है, उस का क्षेत्रफल कोई 45 हजार वर्गकिलोमीटर विशाल है। यह क्षेत्र वर्तमान दुनिया में ऐसे क्षेत्रों में से माना जाता है, जहां का आदिम परिस्थितिकि वातावरण बड़े ढंग से संरक्षित हुआ है, इसलिये वह विश्व के तीसरे ध्रुव के नाम से भी जाना जाता है। होहक्सिल का जलवायु कठोर ही नहीं, प्राकृतिक स्थिति भी बहुत खराब है, यहां तक कि पिछले लम्बे समय में मानव जाति का कोई नामोनिशान भी नहीं था, अतः यह क्षेत्र प्राण के निषिद्ध क्षेत्र के नाम से विख्यात है।
इसी कारण से यह क्षेत्र जंगली जानवरों का पार्क ही नहीं, वर्तमान चीन में जंगली जानवरों के सब से बड़े संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों में से एक भी है। चीन के प्रसिद्ध वातावरण रक्षक सोनाम्डोचय ने तिब्बती एंटीलोपों की रक्षा के लिये यहां पर अपने प्राण का बलिदान कर दिया है। उन की इस वीर भावना के प्रोत्साहन से इधर सालों में अधिकाधिक लोग इस पवित्र भूमि की शांति व सौंदर्य को बनाए रखने के लिये आते रहते हैं।
छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग एक लम्बे आसमान रोड की तरह आधुनिक हलचल को पठारीय वीरानी के साथ जोड़ देती है । जब रेल गाड़ी कोल्मू स्टेशन से गुजर जाती है, तो इसी प्रकार वाला आभास और स्पष्ट हो जाता है। एक दिन की सुबह शानतुंग व होनान प्रांतों और खुनमिंग शहर से आये तीन स्वयंसेवक सोनाम्डोचय प्राकृतिक संरक्षण स्टेशन के बचाव केंद्र में अंतिम बार उन तिब्बती एंटीलोप, जिन्हें उन्होंने एक माह पहले बचा लिया है, को खिलाने में व्यस्त हैं।
समूचा होहक्सिल क्षेत्र पांच संरक्षित इलाकों में बटा हुआ है, समूचे संरक्षित क्षेत्रों का बंद प्रबंध किया जाता है, इस क्षेत्र की ऊंचाई समुद्र सतह से चार हजार 600 मीटर से अधिक है। खराब प्राकृतिक वातावरण और कठोर मौसम की वजह से पहले किसी व्यक्ति का कोई नामोनिशान नहीं था। यह जंगली जानवर बचाव केंद्र सोनाम्डाचय प्राकृतिक संरक्षित स्टेशन में स्थापित हुआ है। स्टेशन के प्रधान वनगा ने परिचय देते हुए कहा:
"शुरु में इतने ज्यादा तिब्बती एंटीलोप दिखाई नहीं देते। पर अब एक दिन में दसेक, यहां तक कि सैकड़ों देखने को मिलते हैं। संरक्षण का काम बहुत कामयाव हुआ है।"