वृत्ताकार ईश्वर यज्ञ वेदी
वृत्ताकार ईश्वर यज्ञ वेदी हर साल सर्दियों में मगर संक्रांति के दिन सम्राटों द्वारा स्वर्ग की पूजा उपासना करने का स्थल था, जिस के दूसरे नाम थे चीथ्येन थेई, बेईथ्येन थेई या ची थेई। वह पत्थरों से बनी खुली तीन मंजिला वृत्ताकार वेदी है, जो मिंग राजवंश के सम्राट च्या जिंग के 9वें वर्ष (सन् 1530) में निर्मित की गयी थी और छिंग राजवंश के सम्राट छ्येन लुंग के 14वें वर्ष (सन् 1749) में इस का पुनःनिर्माण किया गया था। वृत्ताकार यज्ञ वेदी ऊपरी, मध्यम व नीचली तीन मंजिलों पर बनी है। हर मंजिल पर वेदी के जीने संख्या में नौ या नौ के गुनों में बनाए गए थे, जो चीनी सम्राटों की"नौ पांच की सत्ता"( प्राचीन हेतु शास्त्र के मुताबिक दस अंक में नौ सब से बड़ा गुणज नम्बर है जबकि पांच मध्य में है। नौ व पांच साथ साथ जुड़ने से जो अंक आता है, वह प्रतिष्ठा व सत्ता का द्योतक है।) की हैसियत से मेल खाता है। वेदी की ऊपरी मंजिल के केंद्र में सपाट वृत्ताकार पत्थर को सूर्य पत्थर या ईश्वर केन्द्र पत्थर कहलाता है। यदि लोग उस पर खड़े हुए पुकार करते हैं या खटखट देते हैं, तो उस की ध्वनि निकटस्थ जीनों के प्लेटों से प्रतिवर्तित होती है और बहुत साफ़ प्रतिध्वनि बन जाती है।