स्वर्ग मंदिर की संरचना व विशेषताएं
स्वर्ग मंदिर दोहरी चारदीवारी से घिरा हुआ है, जिस की प्रमुख इमारतें भीतरी भाग में केन्द्रित हुई हैं। भीतरी भाग दीवार से दक्षिणी व उत्तरी दोनों हिस्सों में विभाजित होता है। उत्तरी हिस्से में"फ़सल प्रार्थना वेदी"का क्षेत्र है जिस का वसंत में अच्छी फ़सल की प्रार्थना करने में इस्तेमाल किया जाता था, वेदी क्षेत्र में प्रमुख इमारत फ़सल प्रार्थना भवन है। दक्षिण भाग में"वृत्ताकार ईश्वर यज्ञ वेदी"का क्षेत्र है, जहां"सर्दियों में मगर संक्रांति के दिन"स्वर्ग की पूजा करने का काम आता था, प्रमुख वास्तु निर्माण एक बड़ा वृत्ताकार पत्थर की यज्ञ वेदी है। इस का नाम युआन छ्यू (वृत्ताकार चबूतरा) है। दोनों वेदियां ज़मीन की सतह से ऊपर बने 360 मीटर लम्बे गलियारे----डेनबी नामक पुल से जुड़ी हुई हैं और इस रास्ते के जुड़ने से मंदिर में दक्षिण से उत्तर तक 1200 मीटर लम्बी एक अक्ष-रेखा बनायी गयी है। उस की दोनों ओर बड़े रकबे पर प्राचीन सरू व चीड़ के पेड़ लगाए गए हैं।
पश्चिमी स्वर्ग द्वार के भीतर दक्षिणी पक्ष में"च्यै कुंग महल"( उपवास कक्ष) खड़ा है, जहां पूजा करने से पहले सम्राट उपवास करते थे और निवास करते थे। पश्चिमी क्षेत्र के बाहरी भाग में"शनय्यो कार्यालय"स्थित है, जो यज्ञ-कर्म के संगीत व नृत्य सिखाने व अभ्यास करने का स्थल था। स्वर्ग मंदिर में प्रमुख इमारतों में फ़सल प्रार्थना भवन, शाही पूजा भवन, वृत्ताकार ईश्वर यज्ञ वेदी, शाही आकाश भवन, च्यै कुंग महल और वू ल्यांग महल आदि भवन और प्रतिध्वनि दीवार, त्रिगूंज शिला और सात तारा पत्थर आदि दर्शनीय प्राचीन स्थल और ऐतिहासिक धरोहर हैं।